Monday, November 30, 2015

क्षेत्र पंचायत समिति की त्रैमासिक बैठक में छाये बिजली, पानी व सडक के मुद्दे अधिकारियों के जवाब से संतुष्ट नही हुए सदस्य



गैरसैंण, 30 नवम्बर, क्षेत्र पंचायत समिति की त्रैमासिक बैठक में बिजली, पेयजल व मोटर मार्ग के मुद्दे छाये रहे। वही सदस्यों ने अधिकारियों के जवाब से संतुष्ट न होते हुए कहा- बैठक समय की बरवादी है।
   विद्युत विभाग पर हुई चर्चा में कुनीगाड में सुनीतादेवी की भैंस की तीन साल पहले विद्युत करंट से हुई मौत का मुवावजा न मिलने का मुद्दा ग्राम प्रधान बचनसिंह कैडा ने उठाया तो बंज्याणी के प्रधान रतनसिंह ने एस टी लाईन डेढ साल से ठप होने की जानकारी दी।   मैहलचैरी के क्षेत्र पंचायत सदस्य ध्यान सिंह ने मैहलचैरी खेल मैदान से 33 केवी लाइन शिफ्ट करने की मांग की। खाल, कुमखोडी, नैणी, कालीमाटी, रामडा मल्ला में लौ वोल्टेज का मामला उठाया। 
   पिछले 3 साल से राप्रावि विद्यालयों में विद्युत संयोजन की धनराशि जमा होने के बावजूद संयोजन ना दिये जाने को उपखण्ड अधिकारी गुलशन ने आपदा  के कारण विद्युतिकरण ना होना बताया। लोक निर्माण विभाग की चर्चाओं में भाग लेते हुए ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष महावीर बिष्ट ने स्यूंणी मल्ली मोटर मार्ग की मांग रखी। अधिशासी अभियन्ता पीडब्ल्यूडी ने बताया कि 13 मोटर मार्ग आॅनलाइन हैं जबकि दो मोटरमार्गो पर टैंडर आमंत्रित हो चुके हैं। विश्व बैंक परियोजना पीएमजीएसआर वाई व एन एच के कोई अधिकारी बैठक में उपस्थित ना होने के कारण सदस्यों में खासा रोष था। क्षेत्र पंचायत सदस्य हरेन्द्र कण्डारी, ग्राम प्रधान चन्द्र सिंह व बैज्यन्ती देवी ने कहा अधिकारी न तो तैयारी के साथ आये हैं और कई अधिकारी उपस्थित ही नहीं हैं। जो सदस्यों के समय की बरबादी है। किसी तरह क्षेत्र प्रमुख सुमति बिष्ट व खण्ड विकास अधिकारी के सी जोशी ने सदस्यों को शान्त किया। 
    पेयजल की चर्चा में भी अधिशासी अभियन्ता ने भी अधिकतर योजनाओं को केन्द्र सरकार की योजनाओं में फन्डिंग ना मिलने के कारण प्रभावित बताया। 12 गांव पेयजल योजना के 16 लाख रू के प्राक्कलन पर ग्राम प्रधान संगठन महामंत्री आनन्द कनवासी ने विभागीय अधिकारी पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा साढे बारह किमी लम्बी योजना का निर्माण मात्र 16 लाख रू में कैसे हो सकता है।
   स्वजल प्रतिनिधि ने बताया कि किसी गांव में शत प्रतिशत शौचालय बनने पर ही शेष राशि का भुगतान संभव होगा। खण्ड विकास अधिकारी ने बताया जिस गांव में 20 से कम शौचालय बनने हैं वहां मनरेगा से तथा 20 से अधिक शौचालय स्वजल बनायेगा।
   क्षेत्र प्रमुख सुमति बिष्ट की अध्यक्षता में खण्ड विकास अधिकारी के सी जोशी के संचालन में सम्पन्न बैठक में जेष्ठ उप प्रमुख करणसिंह, कनिष्ठ उप प्रमुख राकेश वर्मा, जिला पंचायत सदस्य हीरासिंह फनियाल, परियोजना निदेशक श्री पंवार, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा बी एस पाल सहित कई अधिकारी व जन प्रतिनिधि उपस्थित थे।

राजीव गांधी नवोदय विद्यालय में संविदा शिक्षकों को 8 माह से वेतन नहीं, गेस्ट टीचर भी तीन महिने से हैं परेशान


गैरसैंण, 30 नवम्बर, प्रदेश के सबसे बडे विभाग में अव्यवस्थायें इस कदर हावी हैं कि अल्प वेतन भेगी संविदा शिक्षक 8 महिने से विना वेतन गुजारा करने को मजबूर हैं। अभिनव शिक्षा का ड्रामा बन चुका राजीव गांधी नवोदय विद्यालय इसका उदाहरण है। वहां अप्रैल 15 से संविदा शिक्षकों को वेतन नही मिला है। जिससे उन्हें आर्थिक तंगी के साथ रोजमर्रा की दिक्कतों का सामना करना पड रहा है।
    राजीव गांधी नवोदय विद्याालय जो प्रत्येक जिला में अभिनव शिक्षा केन्द्र के रुप में विकसित होना था अपनी अव्रूवस्थाओं के कारण उपहा की वस्तु बन गया है और मेधावी बच्चों की प्रतिभा को हत्तोत्साहित करने का संस्थान भी। सन् 2009 में स्थापित राजीव गांधी नवोदय विद्यालय का अपना स्टाफ, भूमि व भवन नहीं है । सब उधार पर चल रहा है। राजकीय इण्टर कालेज के भवन में बच्चों का आवास है तो राजकीय जूनियर हाई स्कूल में कक्षाऐं चलती हैं और राजकीय प्राथमिक विद्यालय में भोजनालय। एक किमी की दौड  बच्चों को पढाई, आवास और भोजन के लिए लगानी होती है।
   राजकीय इण्टर कालेजों से व्यवस्था पर नियुक्त प्रधानाचार्य व शिक्षकों के साथ संविदा कर्मी भी परेशान हैं। 
    राजकीय इण्टर कालेज व राजकीय हाई स्कूलों में 89 दिन का सेवाकाल पूरा करने के बावजूद सरकार ने उन्हें वेतन नही दिया है। वही सर्व शिक्षा अभियान के विद्यालयों में कार्यरत  शिक्षकों को तीन माह वेतन नही मिला है।

Sunday, November 29, 2015

सर्व शिक्षा के अध्यापकों को तीन माह से नही मिला वेतन रा प्रा शिक्षक संघ ने जताया रोष


गैरसैंण, 29 नवम्बर
   प्राथमिक शिक्षक संघ शाखा संघ गैरसैंण द्वारा सर्वशिक्षा में कार्यरत अध्यापकों की एक आवश्यक बैठक बुलाई गई जिसमें सर्वशिक्षा के विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को तीन माह से वेतन ना मिलने पर रोष व्यक्त किया तथा अपनी समस्याओं से अवगत कराया जिनमें कतिपय शिक्षकों के पाल्य उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत हैं सम्बन्धित शिक्षकों को समय पर वेतन ना मिलने के कारण यथासमय शुल्क भुगतान नहीं हो पाना तथा कई अन्य समस्याओं पर चर्चा की गई। संगठन ने अति शीघ्र वेतन न मिलने पर आन्दोलन की चेतावनी दी है।
   शिक्षक संघ पदाधिकारियों के अनुसार गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान एसएसए में कार्यरत अध्यापकों द्वारा शिक्षामंत्री से इस सम्बन्ध में विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। उन्होनें जिलास्तरीय शिक्षाधिकारियों की उपस्थिति में अतिशीघ्र निस्तारण करने का आश्वासन दिया लेकिन एक माह व्यतीत होने के बाद भी वेतन भुगतान की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
   इस अवसर पर प्राथमिक शिक्षक संघ अध्यक्ष जगदीप रावत, महामंत्री मोहन सिंह रावत, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ अध्यक्ष त्रिलोक सिंह खत्री, राजेन्द्र वर्मा, मनीष काला, विपिन ढौंडियाल, पुष्कर सिंह बिष्ट, मनवर सिंह रावत, नरेन्द्र रावत, कलम सिंह नेगी, टीकाराम पुरोहित, श्याम सिंह नेगी, महेन्द्र भण्डारी, शशीकला नेगी, तृप्ति बिष्ट आदि उपस्थित थे।

Saturday, November 28, 2015

60वें जन्म दिन का अभिवादन


मित्रों! सादर प्रणाम। ईष्ट देवता की असीम कृपा और पितरों के आशीर्वाद से 60वें वर्ष में प्रवेश कर  रहा हूं। आज जीवन के 59 साल पूरे हुए। जीवन संगिनी लीला के साथ सब अपनों का सहयोग स्नेह और बडों के आशीर्वाद के आगे जीवन की बडी से बडी कामना छोटी नजर आती है। मित्रों, नाते-रिश्तेदारों और परिचित-अपरिचितों की स्नेहिल कृपा ने इन वर्षों को आसान बनाया। प्रभु! इन वर्षों में जो पाया- खोया सब आपकी कृपा।
          सादर अभिवादन, आप सबके स्नेह का आकांक्षी।
                                                पुरुषोत्तम असनोड़ा 

सुयोग्य संस्कृति के अयोग्य प्रतिनिधियों का दौर है यह

               भारत को संहिष्णु और हाल के वर्षों में आई असहिष्णुता को लेकर देश दो धडों में बंटा दिखाई दे रहा है। एक पक्ष देश की संहिष्णुता को इस ठंग से पेस कर रहा है कि मानो वह कोई अहसान हो कि भारत में संहिष्णुता है और दूसरा पक्ष कुछ घटनाओं के आलोक में असहिष्णुता को रेखांकित कर अपनी चिन्ता सामने ला रहा है। सबसे पहले हमें भारत के स्वरुप को समझना चाहिए। भारत की ख्याति और उसकी परम्परा-सिद्धान्तों को समझना चाहिए। भारत बहुभाषी, बहुधर्मी, बहुजाजीय और संस्कृतियों का देश है। हजारों सालों के ज्ञात अज्ञात इतिहास कालक्रम ने उसकी बनावट को इतना ठोका-पीटा, सजाया-सवांरा, सुदृढ किया कि वह बहुभाषी, बहुधर्मी, बहुजातीय और संस्कृतियां उसकी विशेषता बन गयी।
              भगवान विष्णु के चरण कमल से शिव की जटाओं और हिमालय से पृथ्वी पर आने वाली गंगा हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग बन गयी, उसे कही कोई एतराज नही कि किस धर्म-जाति या संस्कृति का व्यक्ति उसका आचमन करता है किस खेत में सिंचाई करता है और वहां कौन सी फसल लहलहा रही है। सोहार्द के किसी वातावरण को गंगा-जमुनी तहजीब कहा जाता है।
             क्षिति, जल, पावक, गगन, समीर कहीं भी कोई भेदभाव नही करते और खून अपने लाल रंग में भी एक है। भारत विश्व का सबसे बडा लोकतंत्र है। लेकिन ये विशेषता उसे बहुत बाद में मिली, औपनिवेशिक सत्ता के विदा होने के बाद। उससे पहले हमारी नदियां, पहाड, हवा, वनस्पति यहां के वाशिंदे, उनकी संस्कृति और एकाकार हो सकने की क्षमता और घुल-मिल कर रहने की प्रवृति ये सब सहिष्णुता के कारक थे। हिमालय और गंगा इसलिए महान नही कि वह सबसे बडा पर्वत या नदी है बल्कि इसलिए कि उनके उपकार उनसे भी बडे हैं। इसलिए कोई सहिष्णुता को अहसान माने जो यह भारत की उद्दात परम्परा का अपमान है। हमें हमारे खून से संहिष्णुता मिली है। हवा, पानी, खाद से, उन फसलों से जिनका पोषण हमारी रगों में खून बनकर दौडता है, उन नदियों के नीर से जो बीतराग हैं।
           आज भारत की पहचान अनेकता में एकता का संगम है, धर्मनिरपेक्षतता और सबसे बडा लोकतंत्र का ताज है। लेकिन शुद्र स्वार्थ उस गंगा जमुनी तहजीब का कितना राग अलापें करते उल्टा हैं। राजनीति की रोटी इतनी विषैली हो गयी कि वह पोषण के बजाय मूल्य हंता हो गयी है। इसीलिए उस मुद्दे में पक्ष-विपक्ष नजर जो कही है ही नही, ऐसे झगडे उभाडे जा रहे हैं जो सचमुच चिन्ता पैदा करते हैं। देश पर जिस संकट की बात कही जाती है वह राजनीति की अपनी उपज है और सचमुच के संकटों से ध्यान बटाने की साजिश भी। या ऐ कहें हमारी सुयोग्य संस्कृति के अयोग्य प्रतिनिधियों के दौर में देश की सहिष्णुता सचमुच खतरे में है।   
                                                                                                              पुरुषोत्तम असनोड़ा

Friday, November 27, 2015

दूधातोली में हुआ हिमपात, रिमझिम वर्षा ने बढाई ठंड


गैरसैंण, 27 नवम्बर, काफी समय बाद हुई वर्षा से जहां किसानों ने राहत महसूस की है वही दूधातोली में मौसम का पहला हिमपात हुआ है। 
    प्रातः से ही छाये घने बादलों के कारण बढी ठंड दिन में रिमझिम वर्षा में बदल गयी और दूधातोली में मौसम का पहला हिमपात हुआ। दूधातोली नवम्बर से मार्च तक हिमाच्छादित रहने वाली पर्वत श्रंखला है और यही वर्फ दूधातोली से निकलने वाली 5 सदा नीरा नदियों का जल भण्डार संरक्षित करता है।
    वर्षा बहुत कम 2 मिमी हुई है लेकिन ठंड बढ गयी है। 

Thursday, November 26, 2015

आधारभूत सुविधाओं के बिना शीतकालीन तीर्थाटन-पर्यटन कोरी कवायद है


               चार धाम यात्रा को शीतकाल में भी संचालित करने का निर्णय बारहों महिने उत्तराखण्उ में यात्रियों की आवाजाही की परिकल्पनाओं पर आधारित योजना है। गत वर्ष से शुरु की गयी शीतकालीन चार धाम यात्रा  बहुत सफल नही कही जा सकती लेकिन गत वर्ष आपदा के साये में जो  थोडी-बहुत ही सही यात्रा संचालित हुई उसका महत्व है।
             शीतकाल में गंगोत्री की डोली मुखवा, यमनोत्री की खरसाली, केदारनाथ की उखीमठ और बदरीनाथ से कुवेर और लक्ष्मी की पाण्डुकेश्वर व नारायण की ज्योतिर्मठ जोशीमठ पहुंचती हैं और शीतकाल में यहीं धामों में सभी देवी-देवता पूजे जाते हैं। छः माह पूजित स्थानों को शीत काल में यात्रियों के लिए खोलना और दर्शनों की व्यवस्था अच्छा निर्णय है।
            उत्तराखण्ड के ये सभी तीर्थ उच्च हिमालय में विद्यमान हैं और उनके शीत प्रवास भी।तीर्थ यात्रा पर अधिकांश तीसरी-चैथी अवस्था के लोग आते रहे हैं कुछ संख्या नौजवानों की बढी जरुर है लेकिन उनका उस श्रद्धा से दूर-दूर तक संबध नही है जो पारम्परिक तीर्थाटन में अपने जन्म का सुफल करने की कामना लिए लोगों में होती रही है। उत्तराखण्ड के पास शीतकालीन पर्यटन के लिए बहुत विस्तृत क्षेत्र है। जाडों में हिमाच्छादित रहने वाला उत्तराखण्ड का लगभग आधा क्षेत्रफल पर्यटकों का मनमोहनेे को पर्याप्त है। मंसूरी, नैनीताल, ऋषिकेश, हरिद्वार, अल्मोडा, कौसानी, औली, द्यारा बुग्याल, चोपता, वेदनी बुग्याल, पिथौरागढ, मुनस्यारी, चम्पावत, रामगढ आदि-आदि अगणित नाम हैं जो शीतकाल में पर्यटकों की अच्छी आमद के स्रोत हैं, अच्छी सडक, बिजली, पानी, संचार, चिकित्सा जो आम नागरिक के लिए भी उतनी ही आवश्यक है जितनी पर्यटक के लिए 24 घंटे, 365 दिन मिलनी ही चाहिए। हमारा अपना नागरिक मूलभूत सुविधाओं के अभाव रो-घो लेगा लेकिन असुविधाओं का एक बार सामना कर चुका पर्यटक 10 को बतायेगा कि वहीं असुविधाओं का आलम क्या है।
         प्रदेश में निर्माण ऐंजेसियां भ्रष्टाचार की गझ मानी जाती हैं और यही कारण है कि हमारी सडकें, पुल, बिजली, पानी, संचार और यहां तक कि रहने- खाने की व्यवस्थायें भी भरोसे लायक नही हैं। उसके लिए जितनी जिम्मेदार सरकार है उतना ही आम परिवेश भी। यह सच है कि भ्रष्टाचार पूरी तरह सरकार और उसके नुमाइंदों की देन है। लेकिन यात्री और प्र्यटकों के साथ होने वाला व्यवहार तो हम सब का है।  मधुर बोल का कोई मोल नही होता उसके बावजूद बहुत सारे मामलों में हम उत्तराखण्ड के उस मेहमान से कटुता से पेश आते हैं जिसे हम उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए बुला रहे हैं। किसी की भी नाजायज बात स्वीकारने का सवाल नही होता। दृढतापूर्वक नाकारी जाना चाहिए।
        सरकार और यात्री व्यवसाय से जुडे हर उस जन को सोचना होगा कि उत्तराखण्ड में प्र्यटन मजबूत आधार हो सकता है लेकिन गांवों में आधारभूत सुविधाओं के जिस टोटे ने गांवों से पलायन के लिए मजबूर किया क्या सरकार वे आधारभूत सुविधायें उपलब्ध कराने जा रही है? यदि नही तो शीतकालीन यात्रा या प्र्यटन जनता को बरगलाने के अलावा कुछ नही है उसमें भी खाने-कमाने के धंधे छुपे हैं।
                                                                                                                               पुरुषोत्तम असनोड़ा

Wednesday, November 25, 2015

चार धाम यात्रा का समापन परिणाम उत्साह जनक हैं धन्यवाद कर्नल कोठियाल


           उत्तराखण्ड के चार धामों के कपाट बन्द होने के साथ इस वर्ष की चार धाम यात्रा भी सम्पन्न हो गयीं।  वर्ष 2013 क्ी प्राकृतिक आपदा के बाद यात्रा को ढर्रे पर लाने के सरकार के भरकस प्रयासों का परिणाम है कि इस बार यात्रियों की संख्या आपदा से पहले के वर्षों की 50 प्रतिशत पहुंच गयी है।  आपदा से पहले लगभग 15-16 लाख यात्री गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बदरीनाथ धाम पहुंचते थे। इस साल यह आंकडा 7-8 लाख के करीब पहुंच गया है।
      सन् 2013  की आपदा के बाद यह कल्पना करना भी मुश्किल हो रहा था कि यात्रा कभी प्रारम्भ भी की जा सकेगी अथवा सुचारु रुप से चलायी जा सकेगी? नेहरु पर्वतारोहण संस्थान के प्राचार्य कर्नल अजय कोठियाल के रुप में केदार धाम को ऐसे विश्वकर्मा मिले जो कम से कम भारत और नही ंतो उत्तराखण्ड की निर्माण सेवाओं में तो संभव सा नही था। आलोचना-प्रत्यालोचना के बीच निश्चित रुप से सरकार ने कमर कसी और यात्रा प्रारम्भ हो गयी। उसे प्रारम्भ करने में कितने घपले-घोटाले रहे होंगे ये अलग विषय है।
     चार धाम यात्रा उत्तराखण्ड के लिए कितनी महत्व पूर्ण ये केवल दो साल में यात्रा से जुडे लोग बता सकतेे हैं जिनके चूल्हे बुझने की नौवत थी, बैंकों से लिय उधार नही दिया जा सका था और बच्चों की पढाई-लिखाई, चिकित्सा सुश्रुषा, शादी-विवाह के साथ भविष्य की चिन्ताओं ने सिर उठा लिया था। आज सब कुछ सामान्य हो जाने की बात करना अपने आप को धोखा देना है और उत्तराखण्ड जैसे राज्य में जो त्रिकोण है उसके भरोसे कुछ भी सामान्य हो नही सकता।
    इस सब के बावजूद यदि चार धाम यात्रा 50 प्रतिशत तक पहुंच गयी है तो हरीश रावत सरकार के प्रयासों को श्रेय दिया जाना चाहिए, धन्यवाद कर्नल कोठियाल और आपकी टीम।
                                                                                                               पुरुषोत्तम असनोड़ा

Tuesday, November 24, 2015

समाधान के रास्ते खोजने हैं


             पौडी के  धारकोट गांव की 7 वर्षीय बालिका संतोषी को सोमवार सायं 6 बजे  गुलदार ने मार दिया। उत्तराखण्ड के पहाडों में संतोषी जैसी कई बच्चों को गुलदार अपना निवाला बना चुका है। संविधान में जीवन के मौलिक अधिकार पर चाहे हिंसक जानवर ने ही किया हो खुला हमला है। आज प्रातः किसी मित्र ने फेसबुक पर उसकी रक्त रंजित लाश का चित्र दिया है। जीवन की रक्षा का सम्मपूर्ण दायित्व व्यवस्था का है। बावजूद इसके संतोषी को गुलदार द्वारा मार देना हमारी संवेदनाओं उस कदर नही झिंझोड रहा जितना अभिनेता आमीर खान का बयान। 
  सोशल मीडिया में लगातार छाये आमीर के बयान पर ऐसी हाई-तौबा क्यों है? उसने कहा- बच्चों की सुरक्षा को लेकर दुविधा है, होगी भाई, कौन कहां रहे, क्या खाये, कैसा पहने, किससे बोले-बतियाये, किसे पूजते हैं, मन्नत मांगते हैं, कहां फूल या चादर चढाते हैं ये तो नितांत निजी मामले है। संविधान में इस सब को मौलिक  अधिकारों में वर्णित किया गया है।
   आमीर के पक्ष और विपक्ष में कहने-सुनने वालों की एक से एक बडी लाइन बन रही है। लेकिन संतोषी जैसे सैंकडों बच्चों को गुलदार निवाला बना गया, उसे नरभक्षी घोषित करने की मांग हुई, नरभक्षी मारा गया या नही उसके बाद अगली घटना तक सब चुप। इस व्यवस्था को जनता के जीवन-मरण के सवाल पर सांप क्यों सूंघ जाता है? ग्राम प्रधान से लेकर संसद तक बैठा हमारा प्रतिनिधि ऐसा स्थाई उपचार क्यों नही तलाशता कि अगला कोई बच्चा, कोई घसियारी, कोई पानी- लकडी को गयी मां-बहिन फिर गुलदार का शिकार न बने। सरकारें क्या लोगों को मूर्ख बनाने के लिए ही हैं? या उत्तराखण्ड और पूरा देश भी कह सकते हैं में लोग उन पार्टियों के जर-खरीद गुलाम हो गये है जिनके पक्ष अथवा विपक्ष में ही उनका मुंह खुलता है? हमारा मीडिया मंत्रियों-सुपर मंत्रियों के खाने-पखाने की खबर तक परोसता है, क्या वह समाधान की राह दिखाने की सोच भी रखता है?
   लोक गायक नरेन्द्र सिेह नेगी ने - ‘ओ शिकारी सैबा तू बाध मारि दे, निशाण साधि दे‘ बहुत वर्षों पहले गा दिया। जिसके लिए लिखा उसने सुना या नहीं लेकिन शिक्षक लखपत रावत ने वह सुना और गुना भी। आदिबदरी क्षेत्र में एक दर्जन बच्चों के हथियारे गुलदार का खात्मा कर दिया। ऐसे ही हर जिला, हर क्षेत्र में उन्होंने अपनी जान पर खेलते हुए भी 48 नरभक्षी गुलदार का सफाया किया है। बावजूद इसके कि वन विभाग और शासन- प्रशासन यहां तक कि जनता की ओर से भी उन्हें अपेक्षित सहयोग तक नहीं मिलता। सरकार ने आज तक उन्हें कोई सम्मान नही दिया। अपने वेतन का बडा भाग वे नरभक्षी का पीछा करने-मारने में खर्च कर देते हैं। उन्हें उन बच्चों की चीख सुनाई देती थी जिन्हें गुलदार मार खा जाता था। 
   वो चीख लखपत रावत जैसे सहृदय ही सुन सकते हैं और पेशे से शिक्षक हाथ में एक बडे कारण से बंदूक उठा लेते हैं।
  मित्रों सोशल मीडिया एक बडा हथियार बन कर आया है। लस्त-पस्त मीडिया की चमक धीमी हो रही है और लोगों का विश्वास भी घटा है। तब सोशल मीडिया के मित्रों को अधिक जिम्मेदारी से सोचना पडेगा। आपकी एक पोस्ट, उसका कोई वाक्य या शब्द अनर्थ का कारण भी बन सकता है। जिस प्रकार सैलीब्रिटी को काफी कुछ सोच समझ कर करना या कहना चाहिए उसी प्रकार हमें भी सोच- समझ कर लिखना चाहिए। फेसबुक का ध्येय वाक्य- ‘ह्वट्स् ओन योर माइंड‘ं यदि दिमाग में कुछ है तो अच्छा ही होना चाहिए।
  उत्तराखण्ड के मुद्दे पीछे छूट गये हैं और बद्जुवानी आगे आ गयी है। ठगा-ठगी का मामला बडा है। उत्तराखण्ड को जिससे निजात पानी है। समाधान के रास्ते खोजने हैं। 
                                                                                                                पुरुषोत्तम असनोड़ा

अनुसूचित जाति/जनजाति शिक्षक कल्याण समिति की बैठक में हिस्सेदारी हेतू एकता पर जोर


गैरसैंण, 24 नवम्बर
   कुमांऊ, गढवाल अनुसूचित जाति शिक्षक कल्याण समिति की बैठक में बाबा साहेब अम्बेडकर के सिद्धान्तों और उनके बताये मार्ग पर चलने पर जोर दिया गया। आरक्षण को अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी बताते हुए वक्ताओं ने कहा गैर बराबरी के शिकार लोगों को बरागरी पर लाने के लिए किए गये प्रावधानों को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए।
   हरीश चन्द्र शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में अनुसूचित जाति की एकता पर जोर देते हुए वक्ताओं ने कहा आरक्षण संविधान प्रदत्त आरक्षण को बचाने के लिए हर सम्भव संघर्ष किया जायेगा। ब्लाक संसाधान केन्द्र में राजेन्द्र वर्मा के संचालन में हुई बैठक में प्रान्तीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष रमेश चन्द्र, उपाध्यक्ष कैलाश आगरकोटी, अनुशासन समिति अध्यक्ष रमेश चन्द्र, सचिव पनीराम, प्रचार मंत्री राजेन्द्र प्रसाद, जिलाध्यक्ष चमोली उमेद बैरवाण, राजेन्द्र प्रसाद विश्वकर्मा अल्मोडा, भगवती प्रसाद, जगदीश राज, दिवान राम, एल पी राज आदि ने विचार व्यक्त किये।
   ब्लाक कार्यकारिणी के लिए विनोद राज को अध्यक्ष व विरेन्द्र कंसवाल को मंत्री चुना गया। वरिष्ठ उपाध्यक्ष हेतू रमेश राम व राजेन्द्र लाल व कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र राम, उपाध्यक्ष मोहन राम व सुरेन्द्र सौरियाल, संरक्षक पुष्कर दुप्तोला को बनाया गया।

खेती की वास्तविक समस्याओं को समझने व उनके निराकरण के साथ चकबन्दी पर जोर


 गैरसैंण, 24 नवम्बर
गरीब क्रांति अभियान द्वारा गांव की बात किसानों के साथ आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखण्ड में खेती की वास्तविक समस्याओं को समझने उनके निराकरण के साथ चकबन्दी पर जोर दिया गया।
   पर्यावरण कार्यकर्ता हेम गैरोला ने कहा चकबन्दी का उत्तराखण्ड में पुराना अनुभव है और आजादी से पहले ओपनिवेशिक सरकार ने उत्तराखण्ड में शिल्पकार ग्राम चकबन्दी के आधार पर ही बसाये थे। जिनमें आरक्षित वन से 66 लाख नाली भूमि पर विभिन्न जिलों में गांव बसे। उन्होनें कहा पलायन और खेतों की अनुत्पादकता को अलग अलग वर्गीकृत करना होगा। उन्होनें कहा गैरसैंण क्षेत्र में 5976 हैक्टेयर कृषि भूमि में 2 लाख 80 हजार खेत है यह खुशी की बात है कि सभी खेत आबाद हैं।
    एसबीएमए प्लान परियोजना प्रबन्धक गिरीश डिमरी ने कहा सरकार ने चार जनपदों के 906 गांवों में चकबन्दी कार्ययोजना प्रारम्भ की है। 398 गांवों में शुरू हुई प्रक्रिया में 211 गांवों ने कार्ययोजना पूरी कर ली है। उन्होनें कहा कई योजनाओं की तरह चकबन्दी को हवाई नहीं बनाया जाना चाहिए। जो भी कानून बने वह पूरी चर्चा के बाद अस्तित्व में आये। उन्होनें कहा पलायन रोकने के लिए गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सडक संचार जैसी मूलभूत सुविधाएं होनी चाहिए।
   गैरसैंण फ्रेश के संचालक उन्नतशील काश्तकार दलीप सिंह रावत ने उपजाऊं और गैर उपजाऊं भूमि को वर्गीकृत कर मानक बनाये जाने की मांग की। एडवोकेट बीपी काला ने छोटी और बिखरी जोत को चकबन्दी के माध्यम से ही उपयोगी बनाने पर जोर दिया। उन्होनें कहा जनता में अधिक जागरूकता से अच्छे निर्णय होंगे।
   रीजनल रिपोर्टर संपादक पुरूषोत्तम असनोडा ने भूमि बन्दोबस्त शीघ्र करने के साथ बेनाप राजस्व की भूमि को ग्राम पंचायतों को सौंपने की आवश्यकता बताते हुए कहा चकबन्दी में प्रत्येक परिवार को कम से कम 20 नाली भूमि अवश्य मिलनी चाहिए। उन्होनें क्षेत्रफल उर्वरा शक्ति सिंचन आदि सभी मानकों को चकबन्दी में वर्गीकृत करने का सूझाव दिया।
  ब्लाक सभागार में कुलदीप नेगी के संयोजन और उमंग प्रदेश संयोजक गजेन्द्र नौटियाल के संचालन में हुई गोष्ठि में संदीप पटवाल, ग्राम प्रधान राजे सिंह सारकोट, बैजयन्ती देवी भलसौं, रघुवीर सिंह दिवागाड, सुरेन्द्र कुमार कालीमाटी, सयन सिंह मालकोट, दीपा देवी मरोडा, सोबन सिंह कोट, चन्द्र सिंह टैटुडा, प्रताप सिंह लखेडी आदि ने सम्बोधित किया।

    इस अवसर पर लक्ष्मण सिंह छणीसैंण, गबर सिंह कोठार, अमर सिंह गौल, भवान सिंह लखेडी, मीना देवी, देवकी देवी थाला, इन्दिरा देवी धमकर, लाजवन्ती गौड शान्ति देवी गैड, निर्मला चैहान धारगैड, मुन्नी नेगी कोट, मुकेश ढौंडियाल रिखोली, मनोज कुमार गैरसैंण, त्रिलोक सिंह सारकोट आदि ने गोष्ठि में प्रतिभाग किया।

Sunday, November 22, 2015

ठेठ पहाड से- दस्तक, पहाड को संवेदनाओं की दस्तक



  क्ेदार घाटी के अगस्त्यमुनी से प्रकाशित जिजीविषा, संघर्षऔर उत्तराखण्डी आशा- अपेक्षाओं सहित्य और लोक कलाओं के समर्पित सिपाही दीपक बैंजवाल के संपादन की त्रैमासिक पत्रिका जो जुलाई से अगस्त संयुक्तांक है।संपादकीय में मुसीबतों से लडना सिखाती पोखरी की एक बेटी किसी भी पहाडी लडकी की दास्तान हो सकती है।
   पर्वतीय राज्य की अवधारणाओं को कौन लगा रहा है पलीता- शंकरसिंह भाटिया, हिमालय के साथ हिमालयवासियों की चिन्ता जरुरी- जयसिंह रावत, उत्तराखण्ड में जंगली जानवरों का आतंक- दीपक बैंजवाल, उत्तराखण्ड में उम्मीदों की टकटकी- हरीश गुसांई, जडों से जुडने के ग्रामोत्सव व मेरे गांव- मेरी पहचान ग्राम कौथीग- गजेन्द्र रौतेला,अंजली रौतेला विचारोत्तेजक आलेख हैं।
अनिल बहुगुणा का आलेख- छोडी शहरों की शानोओ शौकत-लौट आये पहाड, पौडी के बकरोड गांव के दो बुजर्गों हरिसिंह चैहान व मनोहर सिंह चैहान का  अपने गांव लौट आना और पौडी के वरिष्ठ सर्जन डा महेश चन्द्र भट्ट का अपने पैतृक गांव में नियमित सेवा कार्य उम्मीदों को जगाने वाले आलेख हैं।
   बी मोहन नेगी द्वारा बनाये गये पहाड का दर्द- हेमा उनियाल, दुधबोली-पूरन पंत पथिक, मेरा मुल्क-पारेश्वर गौड, मोल कुं माधो-विजय कुमार मधुर के कविता चित्र पत्रिका को जीवंतता दे रहे हैं।  संयुक्तांक में साहित्य को विशेष स्थान मिला है। कड़वे दोहे-मनोज दरमोडा, एक था मेरा गांव-हरीश थपलियाल, गढवाली कविता पहाड-अंजली गौउ, रैगी अणव्यव हमरि शिबी-माधवसिंह नेगी, हस्ताक्षर में बेटी पढाओ-ओम प्रकाश चमोला, केदारनाथ त्रासदी- उपासना सेमवाल, पहाडों में -गिरीश बैंजवाल, खा गयी किसकी नजर-संजीव कुमार गुप्ता, गणित-नितीश भण्डारी,आन्दोलनकारी  सुशीला भण्डारी का संकलन- ओ हिमालय  कविताऐ ंहैं  तो हमरि मातृभाषा कखि खिचडी भाषा नि बणि जावू- संदीप रावत आलेख और चैथे खम्बे को डारेक्ट यमलोक-विपिन सेमवाल व्यंग हैं।
    ठेठ पहाडों से पहाडी अंदाज की पत्रिका पत्रकारिता का झंडा बुलन्द करने का सार्थक प्रयास है। सात वयों से निरन्तरता बनाने में संपादक को किन मुश्किलों से गुजरना पडा होगा इसे भुक्तभेगी ही जान पायेगा। अंक का हर पक्ष प्रभावशाली  पठनीय और संग्रहणीय है।



सैंजी गांव में मकान में लगी आग, नकदी सहित घर का सामान स्वाहा

गैरसैंण, 22 नवम्बर,
    नगर पंचायत के वार्ड 7 सेंजी में त्रिलोक सिंह नेगी के घर लगी आग में घर की नकदी सहित सारा सामान स्वाहा हो गया।
    प्राप्त जानकारी के अनुसार दो मंजिला मकान के उपरी मंजिल में देर सायं आग लग गयी उस समय त्रिलोकसिंह व उनकी पत्नी नीचे की मंजिल में बनी रसोई में खाना बनाने की तैयारी कर रहे थे। जब उन्होंने आग की लपटों और धुंये का अहसास हुआ देर हो चुकी थी और नकदी, बिस्तर, कपडे, अनाज सहित सारा सामान जल चुका था। ग्रामवासियों की मदद से बडी मुश्किल से आग पर काबू पाया जा सका।
     आग का कारण शोर्ट सर्किट  बताया जा रहा है।  दुर्घटना की सूचना पुलिस को दे दी गयी है।

Saturday, November 21, 2015




सम्मान भरोसा दिलाते हैं
गैरसैंण, 21 नवम्बर
  स्व चन्द्र सिंह यायावर स्मृति सम्मान से नवाजे गये ओलम्पियन सुरेन्द्र भण्डारी, महिला मंगल दल अध्यक्ष सावित्री देवी व प्रधानाचार्य शकुन्तला रावत ने एक स्वर में कहा सम्मान भरोसा दिलाते हैं कि उनके कार्यों का मुल्यांकन होरहा है।
  सुरेन्द्र भण्डारी ने कहा उन्होने जो भी उपलब्धि पाई है वह सेना की बदोलत है और सेना ही हर उस सम्मान की हकदार है जो उन्हें मिलता है। प्रधानाचर्य शकुन्तला रावत ने कहा यायावर सम्मान मिलने से उनमें अतिरिक्त आत्मविश्वास जागा है और उन्हे लगता है कि अच्छे कामों पर भी समाज की नजर होती है।
   महिला मंगल दल अध्यक्ष पंवार बाखली सावित्री देवी ने कहा खन्सर घाटी के दुरस्त क्षेत्र में उनके कार्यो की प्रेरणा श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम है जिन्होनें सार्वजनिक रूप से शराब परोसने के खिलाफ महिलाओं को एकत्र किया बचत राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान, वृक्षारोपण और टीकाकरण के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने में मदद की।





 सुरेन्द्र भण्डारी को खेल रत्न व शिक्षक घनश्याम ढौंडियाल को राष्ट्रपति पुरस्कार देने की मांग
गैरसैंण, 21 नवम्बर
   यायावर जन चेतना समिति ने उत्तराखण्ड के पहले एथलीट सुरेन्द्र भण्डारी को उत्तराखण्ड खेल रत्न तथा शिक्षक घनश्याम ढौंडियाल को राष्ट्रपति पुरस्कार देने की मांग की है।
   उत्तराखण्ड एक्सप्रेस के नाम से जाने जाने वाले लम्बी दुरी के पूर्व धावक सुरेन्द्र भण्डारी ने 2006 के दोहा एशियाई खेल तथा 2008 के बीजिंग ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। अनेक अन्र्तराष्टीय प्रतियोगिताओं में भारत और राष्टीय प्रतियोगिताओं में उत्तराखण्ड को पदक दिलाने वाले सुरेन्द्र भण्डारी के नाम 3000 मीटर व 10000 व 3000 मीटर रिले दौड के राष्ट्रीय रिकार्ड हैं।
    2009 में मांस पेशी में खिचांव के बाद उचित चिकित्सा सुविधा न मिलने से उनका खेल कैरियर बरबाद हो गया। उस समय वे भारत में लम्बी दुरी के सर्वश्रेष्ठ धावक थे। राष्टीय खेल संस्थान पटियाला से कोचिंग डिप्लोमा लेने के बाद सुबेदार सुरेन्द्र भण्डारी वर्तमान में राष्टीय खेल प्राधिकरण के प्रशिक्षक हैं और द कोरिया में गत वर्ष हुए एशियाई खलों में उनके एक शिष्य ने कांस्य पदक जीता है।
  रा प्रा वि स्यूंणी मल्ली के प्रधानाध्यापक घनश्याम ढौंडियाल शिक्षा में अभिनव प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं। उन्होनें राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में सबसे पहले अपने विद्यालय में बच्चों के लिए कम्प्यूटर मंगाये। मोटर मार्ग से 4 किमी दूर साइकिल मंगाकर बच्चों को साइकिल चलाना सिखाया। शिक्षण की नवीनतम पद्धतियों के अविष्कारक घनश्याम ढौंडियाल के विद्यालय को शिक्षण भ्रमण टीमें देख चुकी हैं और उनके विद्यालय शिक्षण की सीडी कई राज्यों में शिक्षण का माध्यम बनी हुई है।
   समिति ने सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में सुरेन्द्र भण्डारी को उत्तराखण्ड खेल रत्न व शिक्षक घनश्याम ढौंडियाल को राष्ट्रपति पुरस्कार देने की पुरजोर मांग की ह







Friday, November 20, 2015

    रीजनल रिपोर्टर उत्तराखण्डी सरोकारों की मासिक पत्रिका के ब्लाॅग में आपका स्वागत। पिछले आठ सालों से ‘सरोकारों से साक्षात्कार‘ का मंत्र लिए रीजनल रिपोर्टर को  उसके पाठकों, लेखकों, संपादकीय सहयोगियों व विज्ञापनदाताओं का जो सहयोग-स्नेह मिला है उसके हम आभारी हैं।
  रीजनल रिपोर्टर ब्लाॅग से हम आप सबसे निरन्तर जुडने और उत्तराखण्ड के हर उस मुद्दे को आपके सामने लाने का प्रयास करेंगे जिनके लिए उत्तराखण्ड के 42 जांवाजों ने अपनी शहादत दी। मुजफ्फरनगर कांड जैसी अमानवीय यातना सही और रात-दिन एक कर उत्तराखण्ड की मांग मनवाने में सफल रहे।
   खेद है कि शहादतों से बने राज्य के गठन के बाद भी हमारे तीन साथियों को शहादत देनी पडी और सत्ता का बडा से बडा खेल सत्ता के गलियारों में बदस्तूर जारी है जिनका उत्तराखण्डी सरोकारों से कोई वास्ता नही है।
 हम अपने प्रिय मित्रों से अनुरोध करना चाहेंगे कि सत्ता के ऐसे घिानौने स्वार्थों के विरुद्ध ‘सरोकारों की इस लडाई में‘ रीजनल रिपोर्टर के हाथ मजबूत करेंगे।
 सादर अभिवादन सहित
पुरुषोत्तम असनोड़ा
संपादक