Tuesday, November 24, 2015

खेती की वास्तविक समस्याओं को समझने व उनके निराकरण के साथ चकबन्दी पर जोर


 गैरसैंण, 24 नवम्बर
गरीब क्रांति अभियान द्वारा गांव की बात किसानों के साथ आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखण्ड में खेती की वास्तविक समस्याओं को समझने उनके निराकरण के साथ चकबन्दी पर जोर दिया गया।
   पर्यावरण कार्यकर्ता हेम गैरोला ने कहा चकबन्दी का उत्तराखण्ड में पुराना अनुभव है और आजादी से पहले ओपनिवेशिक सरकार ने उत्तराखण्ड में शिल्पकार ग्राम चकबन्दी के आधार पर ही बसाये थे। जिनमें आरक्षित वन से 66 लाख नाली भूमि पर विभिन्न जिलों में गांव बसे। उन्होनें कहा पलायन और खेतों की अनुत्पादकता को अलग अलग वर्गीकृत करना होगा। उन्होनें कहा गैरसैंण क्षेत्र में 5976 हैक्टेयर कृषि भूमि में 2 लाख 80 हजार खेत है यह खुशी की बात है कि सभी खेत आबाद हैं।
    एसबीएमए प्लान परियोजना प्रबन्धक गिरीश डिमरी ने कहा सरकार ने चार जनपदों के 906 गांवों में चकबन्दी कार्ययोजना प्रारम्भ की है। 398 गांवों में शुरू हुई प्रक्रिया में 211 गांवों ने कार्ययोजना पूरी कर ली है। उन्होनें कहा कई योजनाओं की तरह चकबन्दी को हवाई नहीं बनाया जाना चाहिए। जो भी कानून बने वह पूरी चर्चा के बाद अस्तित्व में आये। उन्होनें कहा पलायन रोकने के लिए गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सडक संचार जैसी मूलभूत सुविधाएं होनी चाहिए।
   गैरसैंण फ्रेश के संचालक उन्नतशील काश्तकार दलीप सिंह रावत ने उपजाऊं और गैर उपजाऊं भूमि को वर्गीकृत कर मानक बनाये जाने की मांग की। एडवोकेट बीपी काला ने छोटी और बिखरी जोत को चकबन्दी के माध्यम से ही उपयोगी बनाने पर जोर दिया। उन्होनें कहा जनता में अधिक जागरूकता से अच्छे निर्णय होंगे।
   रीजनल रिपोर्टर संपादक पुरूषोत्तम असनोडा ने भूमि बन्दोबस्त शीघ्र करने के साथ बेनाप राजस्व की भूमि को ग्राम पंचायतों को सौंपने की आवश्यकता बताते हुए कहा चकबन्दी में प्रत्येक परिवार को कम से कम 20 नाली भूमि अवश्य मिलनी चाहिए। उन्होनें क्षेत्रफल उर्वरा शक्ति सिंचन आदि सभी मानकों को चकबन्दी में वर्गीकृत करने का सूझाव दिया।
  ब्लाक सभागार में कुलदीप नेगी के संयोजन और उमंग प्रदेश संयोजक गजेन्द्र नौटियाल के संचालन में हुई गोष्ठि में संदीप पटवाल, ग्राम प्रधान राजे सिंह सारकोट, बैजयन्ती देवी भलसौं, रघुवीर सिंह दिवागाड, सुरेन्द्र कुमार कालीमाटी, सयन सिंह मालकोट, दीपा देवी मरोडा, सोबन सिंह कोट, चन्द्र सिंह टैटुडा, प्रताप सिंह लखेडी आदि ने सम्बोधित किया।

    इस अवसर पर लक्ष्मण सिंह छणीसैंण, गबर सिंह कोठार, अमर सिंह गौल, भवान सिंह लखेडी, मीना देवी, देवकी देवी थाला, इन्दिरा देवी धमकर, लाजवन्ती गौड शान्ति देवी गैड, निर्मला चैहान धारगैड, मुन्नी नेगी कोट, मुकेश ढौंडियाल रिखोली, मनोज कुमार गैरसैंण, त्रिलोक सिंह सारकोट आदि ने गोष्ठि में प्रतिभाग किया।

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