Friday, April 8, 2016

उमेश डोभाल टस्ट्र द्वारा प्रति वर्ष दिए जाने वाले सम्मानों की घोषणा, डा प्रयाग जोशी, स्वामी प्रेमानन्द, जहूर आलम, चन्दन बंगारी, राहुल शेखावत व दाताराम चमोली होंगे सम्मानित

पौड़ी
   उमेश डोभाल स्मृति ट्रस्ट के द्वारा हर वर्ष दिये जाने वाले सम्मानों व पत्रकारिता पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है। इस आशय का निर्णय ट्रस्ट की बैठक में लिया गया। यह सम्मान व पुरस्कार 24 अप्रैल को उत्तरकाशी में होने वाले स्मृति समारोह में प्रदान किये जायंगेे। इन सबके तहत 11 हजार की धनराशि के अलावा अंग वस्त्र, प्रतीक चिन्ह दिए जाते हैं।  
इन सम्मानों में उमेश डोभाल स्मृति सम्मान डाॅ. प्रयाग जोशी को, राजेन्द्र रावत जनसरोकार सम्मान स्वामी प्रेमानन्द को ,व गिरीश तिवारी गिर्दा सम्मान संस्कृतिकर्मी जहूर आलम को दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि यह तीनों हस्तियां अपने-अपने क्षेत्र में लम्बे समय से कार्य में लगी हंै।
उमेश डोभाल स्मृति सम्मान पाने वाले लगभग 70 वर्’ाीय डाॅ0 प्रयाग जोशी का उत्तराखण्ड के संस्कृति, इतिहास, साहित्य में लम्बा योगदान रहा है। प्रयाग जोशी सेवानिवृत्ति के बाद भी लेखनरत हैं। आपने उत्तराखण्ड अनेक इन्टर कालेजों में सेवा दी। उसके बाद आपका चयन  उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हो गया और रायबरेली के फीरोज गांधी महाविद्यालय में प्रवक्ता पद पर नैतात हो गये। वहां से सेवानिवृत्त होने के बाद हल्द्वानी में प्रवास कर रहे हैं। चाहे वे कहीं रहे हों उत्तराखण्ड पर लेखन जारी रहा। प्रतिभा व बहुविज्ञता के धनी डॉ. प्रयाग जोशी ने अनेकों पुस्तकंे लिखी हैं।
वहीं नैनीताल के जहूर आलम का नाम कोई अनाम नहीं है। वे एक कवि, रंगकर्मी और  विचारवान संस्कृतिकर्मी हैं। नैनीताल की ज्यादातर संस्कृति गतिविधियों में उनकी भागीदारी रहती है। वे  संास्कृतिक गतिविधियों के प्रति एक समर्पित व्यक्तित्व हैं। जनगीतों नुक्कड   नाटकों, थियेटर या फिल्म फेस्टेवल सबमें उनकी भागीदारी रहती ही है। उनके गीत उत्तराखण्ड आन्दोलन के समय भी गुुनगुनाये गये थे। उनकी अगुआई में कुमाउंनी होली की रंगत देखनी हो या नाटकों का मंचन आप जान जायेंगे कि साम्प्रदायिक सदभावना कहने-सुनने की नहीं, सुनने की चीज है। जहूर ने नैनीताल के थियेटर ग्रुुप युगमंच को जिन्दा रखा है।
उत्कल विश्वविद्यालय भुवनेश्वर उड़ीसा से कृषि में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद संन्यास लेकर उत्तराखंड में बसने वाले 77 वर्’ाीय स्वामी प्रेमानंद 52 साल से समाजसेवा का कार्य कर रहे हैं। पहले उत्तरकाशी के गणेशपुर गांव में ठिकाना बनाकर बीस सालों तक आसपास के गांव के बच्चों को निशुल्क पढ़ाया। अभी तक वे हर साल डेढ़ सौ गरीब बच्चों की पढ़ाई का खर्चा वहन कर रहे हैं। इन उम्र में भी वे आश्रम में आने वाले बच्चों को निराश नहीं करते, बल्कि पूरी लगन से उन्हें पढ़ाकर बच्चों का भविष्य संवारने में मदद करते हैं। स्वामी प्रेमानंद की मदद का ही नतीजा है कि गणेेशपुर तथा आसपास के गांवों के कई लड़के लड़कियां डाक्टर, इंजीनियर तथा दूसरी नौकरियों में हैं। उनकी मदद से आत्मनिर्भर होकर अपना घर परिवार चलाने वालों की भी बड़ी संख्या है।
उनके आश्रम में ही एक अस्पताल भी है जहां ग्रामीणों को निशुल्क चिकित्सा सेवा, दी जाती है। मरीजों के लिये उनके यहां दोपहर में निशुल्क भोजन की व्यवस्था भी रहती है। यहां दांत व आंखों की चिकित्सा के साथ ही आधुनिक मशीनों से लैस ऑपरेशन थियेटर व पैथोलॉजी लैब भी है। यहां फिजियोथैरेपी की सुविधा है। अस्पताल की दो एंबुलेंसे भी हैं। संन्यासियों की तरह रहो और काम करो के आदर्श वाक्य को लेकर चलने वाले स्वामी प्रेमानंद के सेवा भाव से प्रभावित उनके आश्रम को मदद मिलती रहती है जिससे वे इस कार्य में लगा देते हंै।
वहीं 2015 के उमेश डोभाल पत्रकारिता पुरस्कारों में प्रिन्ट मीडिया के लिये अमर उजाला रुद्रपुर में कार्य कर रहे चन्दन बंगारी, इलेक्ट्रानिक मीडिया में लम्बी पारी खेलने वाले ईटीवी देहरादून से राहुलसिंह शेखावत और सोशियल मीडिया में सक्रिय रहने वाले दाताराम चमोली के नाम पर निर्णय हुआ। दैनिक हिन्दुस्तान रामनगर व अल्मोड़ा में कार्य कर चुके चन्दन बंगारी वर्तमान में अमर उजाला रुद्रपुर में कार्यरत है। वहीं शेखावत ईटीवी के संवाददाता हंै और जनपक्षीय समाचारों को लगातार देते रहे हैं। दाताराम चमोली सन्डे पोस्ट के संवाददाता होने के अलावा सोशियल मीडिया में बहुविषयों पर तथ्यपरक पोस्ट करते आये हंै। बैठक में ट्रस्ट के गिरीश डोभाल, बिमल नेगी, सुरेन्द्रसिंह रावत, रवि रावत, बीरेन्द्र पंवार, यमुनाराम, एल मोहन कोठियाल आदि उपस्थित थे।  

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