स्याल्दे बिखौती नई परिस्थितियों मेंउसके अनुरुप लोकगीत, झोडे, चांचरी के सृजन की धरती रही है. जिसमें नई हलचल और देश- काल और समाज का विम्ब होता है, इसी परम्परा में इस वर्ष का गीत नया तो नही लेकिन ईधुनिक राजव्यवस्था पर कटाक्ष करता झोडा लोगों को पसन्द आयेगा-
बीजेपी है गे सटबटुवा-कांग्रेस है गे जालि
यूं पार्टियों लें करि हैछ- उत्तराखण्ड खालि
सुक पडि रौ सार पहाड-पाणि लिजी परसडि
विपिना तीलै राज बनाय- खुशि है गया हम
No comments:
Post a Comment