हिमालय बचाओ आन्दोलन के नेता समीर रतूडी ने मंगलवार को जमानत लेने से इंकार कर आन्दोलन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जता दी है। जब न्यायिक मजिस्टेªट ने जमानत न लेने के कारण दूसरी बार उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
जेल में 17वें दिन अनशन पर रहे समीर रतूडी के स्वास्थ्य की चिन्ता होना लाजिमी है। मलेथा में क्रेशरों के विरोध में हुए आन्दोलन में माफिया की हार को खीज में बदलते देर नही लगी और समीर रतूडी व साथियों पर मुकदमे थोप दिए गये। समीर उन मुकदमों को फर्जी बताकर जमानत नही लेने पर अडिग हैं।
सरकार का माफिया को समर्थन की बात हर आन्दोलन में उजागर होती रही है और आन्दोलनकारियों पर मुकदमे वापस लेने की घोषणा के बावजूद समीर रतूडी की जिन्दगी से खिलवाड हो रहा है। मुकदमे वापसी में जितनी देर होगी वह सरकार की हृदयहीनता और आन्दोलनकारियों को सबक सिखाने जैसे कुत्सित प्रयासों में शुमार होगा।
हिमालय बचाओ आन्दोलन के नेता समीर की चिन्ता राज्य के उन संघर्षशील ताकतों और आम जनता को भी करनी चाहिए जिनकी लडाई वे लड रहे हैं। साढे सात किग्रा वजन घटने के साथ उन्हें कमजोरी और दूसरी दिक्कतें हो रही हैं। टिहरी जेल में समीर का संघर्ष उत्तराखण्ड के उस आम आदमी का संघर्ष है जो उत्तराखण्ड की बेहतरी का सपना देखता है जो माफिया मुक्त उत्तराखण्ड की लडाई लडता है और उसके लिए शान्ति पूर्ण तरीके से किसी भी सीमा तक संधर्ष का जज्बा रखता है। समीर आपके आन्दोलन उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी के नाते हमारा पूरा-पूरा समर्थन और सरकार से मांग कि आन्दोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे अति शीघ्र वापस हों।
खबर लिखे जाने तक समीर रतूडी को देहरादून के जाॅलीग्रांट अस्पताल में रिफर कर दिया गया है जहां चिकित्सक उनका उपचार कर रहे हैं।
जेल में 17वें दिन अनशन पर रहे समीर रतूडी के स्वास्थ्य की चिन्ता होना लाजिमी है। मलेथा में क्रेशरों के विरोध में हुए आन्दोलन में माफिया की हार को खीज में बदलते देर नही लगी और समीर रतूडी व साथियों पर मुकदमे थोप दिए गये। समीर उन मुकदमों को फर्जी बताकर जमानत नही लेने पर अडिग हैं।
सरकार का माफिया को समर्थन की बात हर आन्दोलन में उजागर होती रही है और आन्दोलनकारियों पर मुकदमे वापस लेने की घोषणा के बावजूद समीर रतूडी की जिन्दगी से खिलवाड हो रहा है। मुकदमे वापसी में जितनी देर होगी वह सरकार की हृदयहीनता और आन्दोलनकारियों को सबक सिखाने जैसे कुत्सित प्रयासों में शुमार होगा।
हिमालय बचाओ आन्दोलन के नेता समीर की चिन्ता राज्य के उन संघर्षशील ताकतों और आम जनता को भी करनी चाहिए जिनकी लडाई वे लड रहे हैं। साढे सात किग्रा वजन घटने के साथ उन्हें कमजोरी और दूसरी दिक्कतें हो रही हैं। टिहरी जेल में समीर का संघर्ष उत्तराखण्ड के उस आम आदमी का संघर्ष है जो उत्तराखण्ड की बेहतरी का सपना देखता है जो माफिया मुक्त उत्तराखण्ड की लडाई लडता है और उसके लिए शान्ति पूर्ण तरीके से किसी भी सीमा तक संधर्ष का जज्बा रखता है। समीर आपके आन्दोलन उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी के नाते हमारा पूरा-पूरा समर्थन और सरकार से मांग कि आन्दोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे अति शीघ्र वापस हों।
खबर लिखे जाने तक समीर रतूडी को देहरादून के जाॅलीग्रांट अस्पताल में रिफर कर दिया गया है जहां चिकित्सक उनका उपचार कर रहे हैं।
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