Wednesday, March 23, 2016

हरिदत्त बहुगुणा का जाना उततराखण्ड राज्य आन्दोलन के एक युग की विदाई है।

हरिदत्त बहुगुणा का जाना उततराखण्ड राज्य आन्दोलन के एक युग की विदाई है। 
उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के योद्धा, विचारक, शिक्षक, राजनैतिक, सामाजिक कार्य कर्ता और सबसे अधिक एक सच्चे इंसान हरि दत्त बहुगुणा हमारे बीच नही रहे। काफी समय से यकृत की बिमारी बाद एक साल पहले उनके आंत में संक्रमण निकल आया था और दिल्ली के गंगा राम अस्पताल से इलाज चल रहा था। 
कल 22 मार्च 16 को सायं उत्तराखण्ड के महान योद्धा ने हरिद्वार में अपने आवास सांस ली। धर्मपत्नी, पुत्र, पुत्रवधू, पोती सहित परिवार को विलखता छोड गये स्व बहुगुणा हमारे पारिवारिक मित्र और संरक्षक थे। कवि हृदय, स्पष्ट वक्ता और लगन के धनी बीएचईएल के शिक्षक हरिदत्त बहुगुणा उत्तराखण्ड क्रांति दल के वरिष्ठ नेताओं में शुमार थे और राज्य के हर गांव, अली मौहल्ले से उनका परिचय था। वे राज्य की दशा -दिशा के प्रति चिन्तित रहने वाले मार्गदर्शी थे और सन् 1991 में उक्रांद द्वारा बनाये गये उत्तराखण्ड के ब्लू प्रिंट बनाने वाले मार्गदर्शियों में एक भी। 2009 में उक्रांद छोड कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी वे उत्तराखण्ड के मुद्दों पर सक्रीय थे। रीजनल रिपोर्टर सहित कई पत्र- पत्रिकाओं में उनके ेलेख बराबर प्रकाशित होते थे जो लेखन और राज्य की चिन्ताओं का दस्तावेज हैं।
आत्मा की अमरता और शरीर की जीर्णता के तर्क के साथ उनका चले जाना जीवन की वे अनचाही और अनिवार्य स्थितियां हैं जिन्हें स्वीकार करना ही होता है। ऐसे महापुरुष जिनके व्यवहार में हमेशा स्नेह टपकता हो, जो विद्वता से अपनी बातें कहता हो और जिससे शिष्टाचार भी शिष्टता सीखता हो और जो उततराखण्ड की परिकल्पनाओं का साक्षी ही नही सर्जक भी हो ऐसे मानव की कमी हमेशा खलेगी।
ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दें, और शोक संतृप्त परिवार को दुख सहने की सामथ्र्य दे।
ओउ्म शान्ति-शान्ति-शान्ति 

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