Friday, February 5, 2016

नवम्बर से मार्च तक हिमाच्छादित रहने वाला उत्तराखण्ड का पामीर बर्फ विहीन

गैरसैंण, 5 फरवरी
उमेश नैलवाल
   नवम्बर से मार्च तक हिमाच्छादित रहने वाला उत्तराखण्ड का पामीर फरवरी के पहले सप्ताह में ही बर्फ विहीन है। सितम्बर के बाद पिछले चार महिनों में 4 सेमी से ज्यादा वर्षा ना होने से हिमपात भी नहीं के बराबर हुआ है। चमोली, पौडी व अल्मोडा तीन जनपदों में फैली दूधातोली श्रृंखला 2000 से 2400 मीटर की ऊंचाई का वन क्षेत्र है जहां से 5 सदानीरा नदियां पश्चिमी रामगंगा, रामगंगा, पश्चिमी एवं पूर्वी नयार, विनौ, आटागाड नदियों का उद्गम स्थल है।
    गैर ग्लेश्यिरी नदियों में पश्चिमी रामगंगा उत्तराखण्ड की सबसे बडी नदी है जो कन्नौज में गंगा से मिलती है। नवंबर से मार्च तक दूधातोली का हिमाच्छादित रहना भू-जल संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान अदा करता है। वहीं इन पांच सदानीरा नदियों को जल प्रवाह भी कराता है। स्थानीय जनता के पेयजल स्रोत भी दुधातोली वन क्षेत्र हैं।
    सूखे का असर जल स्रोत और नदियों के प्रवाह पर पडना निश्चित है वहीं रबी की फसल बरबाद होने से किसानों के चेहरे मुर्झा गये हैं। अब गर्मी में वनाग्नि के खतरे बढ गये हैं जिससे पशुपालन का भी प्रभावित होना लाजमी है।
   उल्लेखनीय है कि दुधातोली में तीनों जनपदों के सैकडों पशुचारक साल के 6 महीने खर्को में दुधातोली में ही निवास करते हैं। अवर्षण से चारे की भी समस्या बने तो आश्चर्य नहीं है।
   सलियाणा के वयोवृद्ध काश्तकार दरवान सिंह कहते हैं इस बार सूखे ने काश्तकारों की कमर तोड दी है और फसल पूरी तरह बरबाद हो गई है।

   राजुली देवी गौल कहती हैं कि फसल पूरी तरह बरबाद हो चुकी है।

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