स्व. उमाशंकर-भवानी शंकर तुम सही मायने में जिंदा रहोगे
ठीक एक वर्ष पहले अचानक सबको सन्न कर अलविदा कह गए पत्रकार पिता-पुत्र स्व.उमाशंकर और स्व.भवानीशंकर तुम्हें जानने वाले तुम्हें जिंदा रखेंगे, यह यकीन हो गया है। आज तुम्हारी पहली पुण्यतिथि, मन बहुत दुखी था, लेकिन तुम्हारे दोस्तों की ओर से तुम्हारी याद में रखा कार्यक्रम शानदार रहा।
‘‘जनपक्षीय पत्रकारिता की चुनौतियां‘‘ विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता वरिष्ठ स्तंभकार डा.भरत झुनझुनवाला, एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार सुशील बहुगुणा तथा कवि, अनुवादक एवं वरिष्ठ पत्रकार चंद्रभूषण जी ने व्याख्यान दिए। सभी ने माना कि भवानी शंकर के भीतर जो ज्ञान की धारा थी, वह अद्वितीय थी। कार्यक्रम में वक्ताओं ने जिस तरह जनपक्षीय पत्रकारिता की चुनौतियांें पर अलग-अलग स्तर पर बात रखी, तो स्व.भवानीशंकर जी के विचारों और समझ को स्पष्ट करते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में जनपक्षीय होने का मतलब भवानीशंकर बनना बताया। निसंदेह उत्तराखंड में जनपक्षीय पत्रकारिता की बात होगी, तो तुम्हारा नाम लिए बिना पूरी नहीं हो सकती। तुम सही मायने में जिंदा रहोगे, तुम्हें सत्-सत् नमन। तुम्हारे साथियों की पहल पूरी तरह सफल रही है।
‘‘जनपक्षीय पत्रकारिता की चुनौतियां‘‘ विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता वरिष्ठ स्तंभकार डा.भरत झुनझुनवाला, एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार सुशील बहुगुणा तथा कवि, अनुवादक एवं वरिष्ठ पत्रकार चंद्रभूषण जी ने व्याख्यान दिए। सभी ने माना कि भवानी शंकर के भीतर जो ज्ञान की धारा थी, वह अद्वितीय थी। कार्यक्रम में वक्ताओं ने जिस तरह जनपक्षीय पत्रकारिता की चुनौतियांें पर अलग-अलग स्तर पर बात रखी, तो स्व.भवानीशंकर जी के विचारों और समझ को स्पष्ट करते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में जनपक्षीय होने का मतलब भवानीशंकर बनना बताया। निसंदेह उत्तराखंड में जनपक्षीय पत्रकारिता की बात होगी, तो तुम्हारा नाम लिए बिना पूरी नहीं हो सकती। तुम सही मायने में जिंदा रहोगे, तुम्हें सत्-सत् नमन। तुम्हारे साथियों की पहल पूरी तरह सफल रही है।
गंगा असनोडा थपलियाल
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