नैनीसार में जिन्दल नामक जिस भ्ास्माासुर को हरीश रावत उठा कर लाये हैं वह उत्तराखण्ड को तो तबाह करेगा ही , स्वयं हरीश रावत के लिए भी भस्मासुर शावित होगा। नैनीसार में भूमि आवंटन से लेकर उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी सी तिवारी पर हमला तक और राष्ट्रीय तिरंगे के अपमान से लेकर माओवादी गतिविधियों तक सब कुछ उत्तराखण्ड और कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के असफलता के लक्षणहैं।
सच में तो उत्तराखण्ड उस दिन सुलग जाना चाहिए था जब जिन्दल के गुण्डों ने उत्तराखण्ड के एक प्रखर आन्दोलनकारी पर हाथ उठाया। फिर उस दिन दिन सुलगता जब स्वतंत्रता सेनानी द्वारा फहराये राष्ट्रीय तिरंगे को उतारने का देशद्रोह हुआ। जिस जिदल की कंटीली चार दिवारी में करंट हो और कोई उसे फांदे जिन्दल के लोग उसे न देखें , ऐसा हो कैसे गया? अपने पाप छुपाने को क्या-क्या तरीके ये लोग अपनायेंगे नही कह सकते?
रावत साहब! आपसे विनती है उत्तराखण्ड की फिंजा खराब न करें। आप अपने 45-50 साल के उत्तराखण्ड की राजनीति का बार-बार हवाला देते हैं। हम लोग कम से कम 40 साल उत्तराखण्ड के सामाजिक कार्यकर्ता आन्दोलनकारी के रुप में काम कर रहे हैं और हमें भी आपकी राजनीति की जानकारी कुछ न कुछ तो जानकारी रही होगी। आप राजनीति में पाने के लिए आयें हैं, हमने लोगों प्लस-माइनस का कभी ध्यान नही किया। आप अपने को राज्य आन्दोलन से जुडा व्यक्ति कहते हैं, हम आपके राज्य आन्दोलन की भूमिका भी जानते हैं।
संडे पोस्ट के संपादक अपूर्व जोशी को आपने जो पत्र लिखा है उसमें अपनी गांव की सडक का भी जिक्र है। आप बतायेंगे कि दुभणा बैंड- चमडखान की 3 किमी सडक आपके गांव क्यों गयी? ताडीखेत के पूर्व प्रमुख जीवनसिंह रावत से पूछिए जो दुभणा बैंड- चमडखान के 3 किमी मोटर मार्ग के जी ओ के साक्षी हैं। चूंकि आप सांसद बनते ही सडक अपने गांव ले आये और वह सडक आज तक नही बनी।
उत्तराखण्ड देवभूमि है और यहां गुण्डों की जरुरत नही है। आप अपने बुढापे में तब मोहनरी सकून रह सकेंगे जब गुण्डे नही होंगे, अन्यथा बुढापा खराब समझिए। जिन्दल के गुण्डों से उत्तराखण्ड का वातावरण खराब मत करिए। अन्यथा गाड-गधेरे ही नहीं हवा भी पूछेगी- मेरी फिंजा में जहर किसने घोला रौत ज्यू!
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