Wednesday, February 17, 2016





स्व डा उमाशंकर व भवानीशंकर की पहली पुण्य तिथि
जनपक्षीय पत्रकारिता की चुनौती पर गोष्ठी- सिमट रही जनपक्षीय पत्रकारिता पर जाहिर हुई चिन्ता
भवानी शंकर की प्रतिबद्धता मूल्यों के विकास की पत्रकारिता थी
   रीजनल रिपोर्टर के संपादक द्वय स्व डा उमाशकर थपलियाल व भवानी शंकर  थपलियाल की पहली पुण्य तिथि पर हेमवती नन्दन बहुगुणा केन्द्रीय विश्व विद्यालय बिडला परिसर सभागार में आयेजित विचार गोष्ठी में उन्हें श्रद्धापूर्वक याद किया गया।
   भवानी शंकर स्मृति गु्रप की ओर से आयोजित कार्यक्रम में जनपक्षीय पत्रकसरिता की चुनौती पर बोते हुए मुख्य वक्ता वरिष्ठ स्तंभकार डा भरत झुनझुन ने कहा-वौलिटियरी पावट्र्री के बिना जनपक्ष मजबूत नहीं होगा । उन्होंने कहा-मनु स्मृति का ब्राह्मण, लेनिन की पार्टी कैडर और गांधी जी का लोकसेवक  जनता से की शक्ति थी। डा झाुनझुनवाला ने कहा- हम जनपक्ष सोच लें कोई हमें डिगा नही सकता।
  एनडीटीवी के सुशील बहुगुणा ने कहा-पत्रकारिता के लिए जिस सोचा और समझा की जरुरत होती है वह कम होती जा रही है। हम सत्ता या आम जन में किसके पक्षधर हों ये महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा- विाषम स्थितियों, साधनों की नितान्त कमी के बावजूद भवानी ने रीजनल रीपोर्टर को जो धार दी वह जनपक्षीय पत्रकारिता की मिशाल है।
  नवभारत टाइम्स के चन्द्रभूषण ने पत्रकार के लिए जमीन और खाद की आवश्यकता बताते हुए कहा-आज की पत्रकारिता में जनपक्ष सिकुड रहा है। उन्होंने कहा- भवानी की जगह खाली है और उस जगह के लिए कई भवानी पैदा हो तभी वह पूर्ति हो सकेगी। उन्होंने पत्रकारिता को निजी विचार धारा से अलग कर वासत्विकता लोगों के बीच लाने की आवश्यकता बताई।
    डा एस पी सती ने डा उमाशंकर व भवानी शंकर को याद करते हुए कहा- पत्रकारिता के दो स्तंभों का एक साथ हमसे विदा होना दुखदायी है।ं रीजनल रिपोर्टर के संपादकीय सहयोगी गंगासिह ने कार्यवृत प्रस्तुत करते हुए रीजनल  रिपोर्टर के सरोकारों से साक्षत्कार की थीम बताई। इन्द्रेश मैखुरी के संचालन में हुए कार्यक्रम के  समापन अवसर पर डा अरुण कुकसाल ने रीजनल रीपोर्टर के वैचारिक और आर्थिक प़क्ष को सहयोग हेतु अपील की और पत्रिका दायित्व कुशलता से संभाल रही गंगा असनोड़ा थपलियाल की सराहना की।
  आयोजन टीम के सीताराम बहुगुणा, एल मोहन कोठियाल, डा डी आर पुरोहित, पूर्व पालिकाध्यक्ष कृष्णानन्द मैठानी, वरिष्ठ पत्रकार सुरेश नौटियाल, गणेश खुगशाल गणी, मधु झुनझुनवाला, डा सुरेखा डंगवाल, डा आर आर नौटियाल, सुधीर भट्ट, अनूप नौटियाल, प्रो ए आर डंगवाल, डा वी सी नैथानी, नीरज नैथानी, डा सी एस भण्डारी, डा बी डी कुकरेती, साहिबसिंह सजवाण, डा जे एस बिष्ट, अतुल सती, सीमा सती, अंजना भट्ट घिण्डियाल सीना उपाध्याय, रोशन नैलवाल, जगदीश भट्ट,  आदि बडी संख्या में लोग उपस्थित थे ।

No comments: