17 फरवरी 2015 हमेशा दैविव्यमान रहने वाला सूरज काली रोशनी लेकर आयेगा कौन सोच सकता है। नाम से शंकर, घर का नाम शंकर, भगवान शंकर के उपासक और भगवान शंकर का ही दिन शिवरात्रि, हमारे अजीज भवानी शंकर व डाॅ उमाशंकर की चिरविदाई जिनसे श्रीनगर, उत्तराखण्ड और देश-विदेश के उनके परिजनों पर जो प्रतिघात हुआ उसकी आज पहली पुण्यतिथि है।
डाॅ उमाशंकर थपलियाल पत्रकारिता, साहित्य, खेल और सामाजिक जीवन के वह स्तम्भ थे जिसकी रिक्तता हमेशा महसूस की जायेगी। रीजनल रिर्पोटर के प्रबन्ध सम्पादक, आकाशवाणी के सम्वाददाता, यूएनआई, हिन्दुस्तान टाइम्स, टाइम्स आॅफ इण्डिया, लोकमत, बिजनौर टाइम्स, देवभूमि सहित दर्जनों संस्थानों से जुडे रहे डाॅ थपलियाल पत्रकारिता के बडे स्तम्भ थे। साहित्य और संस्कृति के पुरोधा और सामाजिक जीवन के अभिन्न अंग हमारे अपने थे।
रीजनल रिपोर्टर के युवा सम्पादक भवानी शंकर की प्रतिभा ज्ञान और सरोकारों को समझने की क्षमता हम सब से अधिक थी। श्रीनगर में रहते हुए देश दुनिया की खोज, अविष्कार, शिक्षा, राजनीति, इतिहास और भूगोल की जो जानकारी उनके पास होती थी वह शायद ही किसी के पास होती थी। हंसमुख, काम पर उलझे रहने वाले और स्वप्न दृष्टा भवानी का असमय जाना खलता है।
इस एक साल में रीजनल रिपोर्टर की गुरूत्तर जिम्मेदारी बेटी गंगा व रीजनल रिपोर्टर के सम्पादकीय सहयोगी मित्रों, शुभचिन्तकों, परिजनों, पाठकों व विज्ञापनदाताओं ने जितनी तत्परता से सम्भाली है उन सब का स्नेह, आदर सम्पादक द्वय के प्रति प्रदर्शित होता है। अपने प्रिय भवानी व डाॅ उमाशंकर थपलियाल आप पितर श्रेणी में पंहुच गये हैं। आपकी व आपके द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चलने के प्रयास की ही हामी भर सकते हैं।
आपको श्रद्धासुमन! कोटी-कोटी नमन
डाॅ उमाशंकर थपलियाल पत्रकारिता, साहित्य, खेल और सामाजिक जीवन के वह स्तम्भ थे जिसकी रिक्तता हमेशा महसूस की जायेगी। रीजनल रिर्पोटर के प्रबन्ध सम्पादक, आकाशवाणी के सम्वाददाता, यूएनआई, हिन्दुस्तान टाइम्स, टाइम्स आॅफ इण्डिया, लोकमत, बिजनौर टाइम्स, देवभूमि सहित दर्जनों संस्थानों से जुडे रहे डाॅ थपलियाल पत्रकारिता के बडे स्तम्भ थे। साहित्य और संस्कृति के पुरोधा और सामाजिक जीवन के अभिन्न अंग हमारे अपने थे।
रीजनल रिपोर्टर के युवा सम्पादक भवानी शंकर की प्रतिभा ज्ञान और सरोकारों को समझने की क्षमता हम सब से अधिक थी। श्रीनगर में रहते हुए देश दुनिया की खोज, अविष्कार, शिक्षा, राजनीति, इतिहास और भूगोल की जो जानकारी उनके पास होती थी वह शायद ही किसी के पास होती थी। हंसमुख, काम पर उलझे रहने वाले और स्वप्न दृष्टा भवानी का असमय जाना खलता है।
इस एक साल में रीजनल रिपोर्टर की गुरूत्तर जिम्मेदारी बेटी गंगा व रीजनल रिपोर्टर के सम्पादकीय सहयोगी मित्रों, शुभचिन्तकों, परिजनों, पाठकों व विज्ञापनदाताओं ने जितनी तत्परता से सम्भाली है उन सब का स्नेह, आदर सम्पादक द्वय के प्रति प्रदर्शित होता है। अपने प्रिय भवानी व डाॅ उमाशंकर थपलियाल आप पितर श्रेणी में पंहुच गये हैं। आपकी व आपके द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चलने के प्रयास की ही हामी भर सकते हैं।
आपको श्रद्धासुमन! कोटी-कोटी नमन
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