जोशीमठ में जेपी कम्पनी ने यूपीसीएल का सब स्टेशन को जाने वाला रास्ता बन्नइ कर दिया। नैनीसार में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देवेन्द्र सनवाल द्वारा फहराया गया तिरंगा जिस पर कोई भी भारतीय गर्व करता है प्रतीक जिन्दल नामक गुण्डे ने उतार दिया। पहली घटना की रिपोर्ट ऊर्जा निगम केउप खण्ड अधिकारी ने उपजिलाधिकारी के माध्यम सेजिलाधिकारी को भेज दी है और जोषीमठ कोतवानी में जहरीर भी दी गयी है।
दूसरे मामले में अल्मोडा का जिला प्रशासन जिन्दल का बधुवा सावित हो रहा है। उत्तराखझड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी ने जिलाधिकारी राजीव बंसल को दी रिपोर्ट में कहा- कि उक्त नैनीसार में तिरंगा उतारने के अपराधिक कृत्य को संयुक्त मजिस्ट्रेटविनीत कुमार व एस डी एम रिकु बिष्ट मूक दर्शक बनी रही।
दोनो ही मामले जल-जंगल-जमीन से जुडे हैं। सरकारी क्षेत्र में बनने वाली विष्झाु प्रयाग जल विद्युत परियोजना को उप्र सरकार ने उत्तराखण्ड राज्य गठन से पहले जे पी वैचर्स को बेच दी थी जिसका मात्र 12 प्रतिशत बिजली रायल्टी के रुप में उत्तराखण्ड को मिलती है। जे पी वैंचर्स और ऊर्जा निगम का लेन-देन को लेकर विवाद में उसने उत्तराखण्ड की सरकारी कम्पनी रास्ता बन्द कर दिया। जो कम्पनी सरकारी कम्पनी यानी सरकार का रास्ता रोक दे उससे तो आप नही निबट सकते लेकिन ग्राम समाज की जिस भूमि को जिन्दल को न देने की मांग कर रहे उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के कंन्द्रीय अध्यक्ष पी सी तिवारी व रेखा धस्माना को न केवल पिटवाते हैं बल्कि गम्भीरतम धाराओं में बन्द भी करवाते हैं।
जो अफसर साहिबान को झंडा उतारते समय मूक दर्शक बताया जा रहा है उनमें से एक को आईएएस तथा दूसरी पीसीएस अधिकारी रहा होगा। और इनकी अभी लम्बी सेवाऐं होंगी। हरीश रावत या कोई भी सरकार अजर-अमर नही है और उनके कुकर्म लामबगड भूस्खलन के के कोड की तरह हमेशा दिखाई देंगे। ये अफसर देश और प्रदेश को कैसी सेवा देंगे घटना पर उनकी भूमिका से परिचय मिल रहा है।
प्रदेश को जल विद्युत परियोजनाओं अथवा इण्टर नेशनल स्कूलों के नाम पर बेच खाने वालों का कोई इतिहास नही होगा। हां दादागिरी-गुण्डागर्दी जितनी कर लो।
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