Monday, January 25, 2016

गणतंत्र के गण जागो, तुम्हारी श्रेष्ठता अपहरित हो रही है

       67 वें गणतंत्र दिवस पर स्वतंत्रता कोटि-कोटि सेनानियों को जिन्होंने अपना सर्वस्व आजादी की लडाई में बलिदान कर दिया नमन और श्रद्धासुमन, उस लडाई के जो मुट्ठी भर लोग हमारे बीच हैं उन्हें सादर प्रणाम।
   सन् 1950 में आज ही दिन भारतीय लोकतंत्र को संचालित करने वाले संविधान के लागू होने की वर्षगांठ में आप सब स्वतंत्रता प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन।
 मित्रों 66 वर्ष एक लम्बा कालखण्ड है जो दिखाता है कि लोकतंत्र के प्रति हम निष्ठावान हैं लेकिन इसी कालक्रम में बहुत सी बुराईयां कोढ की तरह उगी हैं। जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा स्थापित गणतंत्र में गण की श्रेष्ठता के सिद्धांत बलि चढते रहे हैं और उसकी भूमिका चुनाव में वोट की श्रेष्ठता से आगे नही बढी है। जो तंत्र विधायिका और कार्यपालिका उसकी सहायता के लिए थी वह आज उसकी शासक बन गयी है।
   त्ंात्र की मनमानी इतनी बढ गयी है कि न्यायपालिका को कई बार उसे निर्देश देने पडे हैं यह लोकतंत्र की विफलता है कि उसका कोई अंग उतना सक्रीय और दूसरा इतना अक्षम हो जाय कि अपने कर्तव्यों का पालन न करे अथवा अपना अधिकार न ले सके। गण पर हावी ऐसे तंत्र माफिया तंत्र हैं जो जनता के अधिकारों का अपहरण करते हैं।
   गणतंत्र दिवस पर गण के जागने के आह्वान के साथ उसके श्रेष्ठता के अपहरताओं के विनास की कामना। जय भारत, जय जन-गण।

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