Friday, February 12, 2016

धन्य हैं हम- मुलायम के भी अपराधी रहे और उत्तराखण्ड के विकास पुरुषों के भी


             उत्तराखण्ड विकास के सोपान चढ नही रहा बल्कि छलांग लगा रहा है, सुनकर अच्छा लगा कि राज्य देश के 10 समृद्ध राज्यों में शामिल है और उसकी विकास दर 13 प्रतिशत से अधिक है। किस किस को बधाई दें इस शानदार उपलब्धि पर समझ नही आ रहा है।
           राज्य के मुख्य मंत्री को तो देनी ही पडेगी। अब वे केन्द्र के सौतेले व्यवहार का रोना नही रोयेगे। विकसित प्रदेश का मुख्यमंत्री छोटी- छोटी सहायता के लिए केन्द्र के आगे हाथ पसारे भी क्यों? अब उन्हें बाजार से उधार भी नही लेना पडेगा क्योंकि विकसित हैं तो संसाधन भी होंगे।
         सबसे बडी बात उत्तराखण्ड की जमीनें माफिया को नही देनी पडेंगी, राज्य का खर्चा चलाने के लिए ही तो वे जिन्दल और उसके गुण्डों का बोझ बदनामी की हद तक झेल रहे थे। अब कर्मचारी शिक्षकों को 3 महिने से वेतन न मिलने की शिकायत नही होनी चाहिए। संविदाकर्मियों को 9 माह और अतिथि शिक्षकों को 6 माह से वेतन नही मिला तो क्या है? तीन महिने पहले सुना था राज्य कर्मियों की तनख्वाह के लिए बाजार से कर्ज लेना पडा है। विकसित राज्य में यह कर्ज और भी कई धन्नासेठ देने को तैयार होंगे। देश में धनखवीसों की कमी कहां है? बधाई तो उन नौकरशाहों को देनी पडेगी जो सरकारी बजट को सूंघने में माहिर हैं, जो आपदा के कफन पर भी हाथ साफ करने से नही चूके और भीषण आपदा के दिनों में चिकन कबाब की डकार ले रहे थे।
          उन महानुभावों को भी बधाई जिनके लिए नये पद सृजित करने पडे जो सरकार चाहे कोई हो सबके प्रिय रहे हों, राज्य को कैसे लूटा जा सकता है, हर फार्मूूला जानते हैं। राज्य की जनता को भी बधाई कि उसने उन पार्टियों पर भरोसा किया जो राज्य अवधारणा से भले ही लगातार दूरी बनायें लेकिन विकास का झंडा जिनके हाथ है। लाल पीली बत्तियों उनकी कृपा की मोहताज हैं। विकास और शिक्षा के  नाम पर अब उन्हें कोई हडकायेगा भी नही। विकसित प्रदेश के निवासियों की सडक ठीक हुए बिना 13 प्रतिशत विकास दर  हो ही नही सकती। सरकारी विद्याालय अब छात्र संख्या के कारण अब बन्द नही होंगे। विकास का गणित जोडते घटाते समय शिक्षा भी तो कही न कही होगी ना? अस्पतालों का पी पी पी मोड ही ठीक है। इण्टर नेशनल स्कूल ही क्यों प्राइमरी स्कूलों को बेच खाने की रीति नीति बन चुकी है, कुछ घपलेबाज हैं जो नैनीसार या मलेथा जैसे प्रकरण उठा देते हैं हल्ला करते हैं और सरकार जो बेच रही होती है उसमें बाधा डालते हैं। सरकार के पास पुलिस है प्रशासन है जेल है सब चलेगा, नीति और रीति बन गयी तो किसकी मजाल है जो टांग अडाये, उसके लिए तो गुण्डे हैं, बाउन्सर हैं नही तो एसडीएम, डीएम, कप्तान और कोतवाल हैं। इतने मुकदमे लगेंगे कि कानून की किताब को कई बार पढना पडेगा।
        धन्य है विकास, धन्य हैं विकास कार्यकर्ता उसके गुण्डे और बाउन्सर, हम तो धन्य धन्य हैं ही मुलायम के भी अपराधी रहे और उत्तराखण्ड  विकास महापुरुषों के भी।

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