साहित्य समाज व संस्कृति की त्रैमासिक पत्रिका नवल का अक्टूबर-दिसम्बर15 अंक उपलब्ध है।रामनगर उत्तराखण्ड से प्रकाशित नवल उन चुनींदा पत्र-पत्रिकसओं में से है जो उद्देश्य परक पत्रकारिता में विश्वास करते हैं। संपादक हरि मोहन मोहन संपादकीय में राज्य की दशा-दिशा के भटकाव को सरकार राजनैतिक दलों विखरे विरोधों और राज्य आन्दोलनकारियों की असफलता के रुप में लिया है। भूमि के माफिया आवटंन, राजधानी और सत्ता की बन्दरबांट को मुद्दा बनाया गया है।
इतिहास, संस्मरण,आलेख, कविता,कहानी, एकांकी,शोधपत्र, कविता पोस्टर और पुस्तक समीक्षा को 40 पृष्ठों की उपयोगी पत्रिका बनाने में संपादक सफल रहे हैं। मुखपृष्ठ उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध कवि, विचारक व चित्रकार मौलाराम का है।
इतिहास में डा मदन चन्द्र भट्ट का लेख- उत्तराखण्ड के इतिहास की एटकिंसन समस्या, संस्मरण में वीणापाणी जोशी- लेखनयात्रा अंगुलियों से कम्प्यूटर तक, आलेख डा गोपालराम आर्य-हिन्दी दलित साहित्य आन्दोलन का स्वरुप एवं विकास व डा तेजपालसिंह- लांक-परम्पराका मांगलिक प्रतीक-पंचांगगुणांक, हैं।
कविता मे सीताराम गुप्ता, देवीरागरानी व प्रो मनु महरान की गजल, टीकमसिंह प्रजापति- दोहम, डा अजय जन्मेन्जय-तारे निकले, प्रभु दयाल श्रीवास्तव-हथनी दीदी, जगन्नाथ‘विश्व‘-धूप छांव सा रिश्ता, बालविहारी प्रजापति-ये आदमी, के सी सकलानी- कै तें याद नि आंदी, गोविन्द बल्लभ बहुगुणा- बखत बखत की बात, डा हरीश चन्द्र शाक्य-सुगति छनद व शिवप्रसाद राजभर की कुण्डिलियां हैं। कहानी धनसिंह मेहता- आखेट, खुशालसिंह खनी-आखेछ, मनजीत शर्मा-घिन्नैट, आनन्द बिल्थरे-पुल का प्रेम व डा प्रयाग जोशी- संतरे मीठे लडकी डूबी हैं।
कविता पोटर महावीर रवांल्टा की कविता पर बी मोहन नेगी ने बनाया है। हरीशचन्द्र सनवाल की एंकांकी-मनुष्य का आतेक व शोध पत्र डा भगवती प्रसाद पाठक-बहम् राजवंश का समकालीन देवता मोष्टा तथा पुस्तक समीक्षा डा जी सी पंत ने कृष्ण चन्द्र‘कपिल के कविता संग्रह दरख्तों के के साये में की है।
अंक हर बार की तरह उकृष्ट और पठनीय है।
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