विकास कार्यकर्ता का विकास तो नही गुण्डे जरुर दिख रहे हैं
मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने को विकास कार्यकर्ता कह रहे हैं। रविवार को वे रुद्रपुर में वही बातें उसी अंदाज में कह रहे थे जो उनका चिर परिचित अंदाज है जिसमें कोई भी राजनेता अपने को श्रेष्ठ और दूसरे को दोयम दर्जे का बताने से नही चूकता।
आपकी बातें सुनते हैं तो लगता है आप बडी शिद्दत से उत्तराखण्ड के विकास में लगे हैं और यदि कहें तो उत्तराखण्ड के विकास पुरुष का श्रेय लेने की होड में आप हैं। आपका विकास शिक्षा. चिकित्साए सडक.परिवहनए कृषि.बागवानी और यहां तक कि आपकी घोषणाओं के हवाई होने की हद तक कहीं दिख नही रहा है। केदारनाथ में कर्नल कोठियाल और उनकी टीम का परिश्रम आपको बहुत कुछ राहत दे रहा है लेकिन उन परिथतियों की ओर आप नही सोच रहे हैं कि चोरवाडी झील आखिर टूटने के कारण क्या हैंघ्
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जितना दखल बढेगा निश्चित रुप से प्रकृति उतनी ही कुपित होगी। केदारनाथ यात्रा में हैली प्रयोग सीमित के बजाय असीमित करने के प्रयासों का कहीं न कहीं केदारनाथ आपदा से सम्बन्ध निकलता है। विज्ञान के युग में इस पर व्यापक वैज्ञानिक बहस नही हुई है। मानें कि केदारनाथ यात्रा प्रारम्भ करना आपकी सफलता का सफर शुरु करता इसके साथ आपदा के वे घोटाले जो सही मायने में सामने आये भी नही आपने उन्हें क्लीन चिट दे दी। दो साल पहले की अवर्षण को दैवी आपदा मानते हुए उत्तराखण्ड सरकार ने पहाडों के प्रत्येक काश्तकार को 1500 रु दैवी आपदा का मुवावजा दो तिहाई गांवों में अब भी नही बटा है। यही स्थिति मेरा पेड.मेरा धनए मेरा गांव.मेरी सडकए मेरे बुजर्ग.मेरे तीर्थ और सारी योजनाओं की जो आप बार.बार बखान कर रहे हैं। बजट में धनराशि की व्यस्था के बिना कोई भी योजना हवा में नही लटकेगी तो कहां जायेगीघ् पीपीपी मोड की असफलता को स्वीकारें अथवा नही ये पूरी तरह फ्राॅड सावित हो चुके हैं। सडक के लिए आपके ही जिले की चैखुटिया.मासी सडक देख लें तो सडकों का एक खाका आपके दिमाग में भी बने।
वीरपुर लच्छीए नैनीसार में हमने गुंण्डों का आतंक देख लियाए राष्ट्र ध्वज का अपमान भी और खनन रोकने गये वन व प्रशासन के अधिकारियों को कुचलने के प्रयास भी।
आपने खल्डुवा में कहा. पीसी नैनीसार के नही हैं। यदि नैनीसार के लोग कहेंगे तो जिंदल का आवंटन रद्द कर देंगे। इससे पहले आपने शिक्षा और विकास न चाहने की स्थिति में आवंटन रद्द करने की बात कही थी। अब आप पाॅलिसी भी नैनीसार और जिंदल के बीच ले आये हैं। इतना सारा घालमेलघ् पहली बात तो आप जिस स्थान के बारे में जितना कुछ कहते हैं क्या आप उन सब जगह के हैंघ् हम केवल उस स्थान के पैदाइश की बात कर रहे हैंए आप इसलिए बोलते हैं कि आप उस राज्य के मुख्यमंत्री हैंए आपको यह पद संविधान ने दिया हैए उसी संविधान ने जिसने हम सब लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है। पी सी तिवारी एक क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते वह सब बोलेंगे जिसे वे ठीक समण्ते हैं। सरकार की उन नीतियोंए कायों की आलोचना भी जो जनता के हित प्रभावित करती है। उन पर गुण्डे छुडाए जेल में बन्द कर आप दमन के रास्ते पर चल रहे हैं। उत्तराखण्ड में सत्ता के दुरुपयोग की शुरुआत तो बेगुनाहों को माओआदी बताकर हो ही चुकी थी आपके राज में सार्वजनिक जीवन के लोगों पर हमले करा गुण्डाराज की गूंज सुनाई देने लगी है। ं
उत्तराखण्ड आन्दोलनों की भूमि है और दमन से घबराकर कोई पीछे नही हटेगा ये शायद चेतन.अवचेतन मन में अवश्य होगा।
विकास कार्यकर्ता का विकास तो नही गुण्डे जरुर दिख रहे हैं
मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने को विकास कार्यकर्ता कह रहे हैं। रविवार को वे रुद्रपुर में वही बातें उसी अंदाज में कह रहे थे जो उनका चिर परिचित अंदाज है जिसमें कोई भी राजनेता अपने को श्रेष्ठ और दूसरे को दोयम दर्जे का बताने से नही चूकता।
आपकी बातें सुनते हैं तो लगता है आप बडी शिद्दत से उत्तराखण्ड के विकास में लगे हैं और यदि कहें तो उत्तराखण्ड के विकास पुरुष का श्रेय लेने की होड में आप हैं। आपका विकास शिक्षा. चिकित्साए सडक.परिवहनए कृषि.बागवानी और यहां तक कि आपकी घोषणाओं के हवाई होने की हद तक कहीं दिख नही रहा है। केदारनाथ में कर्नल कोठियाल और उनकी टीम का परिश्रम आपको बहुत कुछ राहत दे रहा है लेकिन उन परिथतियों की ओर आप नही सोच रहे हैं कि चोरवाडी झील आखिर टूटने के कारण क्या हैंघ्
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जितना दखल बढेगा निश्चित रुप से प्रकृति उतनी ही कुपित होगी। केदारनाथ यात्रा में हैली प्रयोग सीमित के बजाय असीमित करने के प्रयासों का कहीं न कहीं केदारनाथ आपदा से सम्बन्ध निकलता है। विज्ञान के युग में इस पर व्यापक वैज्ञानिक बहस नही हुई है। मानें कि केदारनाथ यात्रा प्रारम्भ करना आपकी सफलता का सफर शुरु करता इसके साथ आपदा के वे घोटाले जो सही मायने में सामने आये भी नही आपने उन्हें क्लीन चिट दे दी। दो साल पहले की अवर्षण को दैवी आपदा मानते हुए उत्तराखण्ड सरकार ने पहाडों के प्रत्येक काश्तकार को 1500 रु दैवी आपदा का मुवावजा दो तिहाई गांवों में अब भी नही बटा है। यही स्थिति मेरा पेड.मेरा धनए मेरा गांव.मेरी सडकए मेरे बुजर्ग.मेरे तीर्थ और सारी योजनाओं की जो आप बार.बार बखान कर रहे हैं। बजट में धनराशि की व्यस्था के बिना कोई भी योजना हवा में नही लटकेगी तो कहां जायेगीघ् पीपीपी मोड की असफलता को स्वीकारें अथवा नही ये पूरी तरह फ्राॅड सावित हो चुके हैं। सडक के लिए आपके ही जिले की चैखुटिया.मासी सडक देख लें तो सडकों का एक खाका आपके दिमाग में भी बने।
वीरपुर लच्छीए नैनीसार में हमने गुंण्डों का आतंक देख लियाए राष्ट्र ध्वज का अपमान भी और खनन रोकने गये वन व प्रशासन के अधिकारियों को कुचलने के प्रयास भी।
आपने खल्डुवा में कहा. पीसी नैनीसार के नही हैं। यदि नैनीसार के लोग कहेंगे तो जिंदल का आवंटन रद्द कर देंगे। इससे पहले आपने शिक्षा और विकास न चाहने की स्थिति में आवंटन रद्द करने की बात कही थी। अब आप पाॅलिसी भी नैनीसार और जिंदल के बीच ले आये हैं। इतना सारा घालमेलघ् पहली बात तो आप जिस स्थान के बारे में जितना कुछ कहते हैं क्या आप उन सब जगह के हैंघ् हम केवल उस स्थान के पैदाइश की बात कर रहे हैंए आप इसलिए बोलते हैं कि आप उस राज्य के मुख्यमंत्री हैंए आपको यह पद संविधान ने दिया हैए उसी संविधान ने जिसने हम सब लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है। पी सी तिवारी एक क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते वह सब बोलेंगे जिसे वे ठीक समण्ते हैं। सरकार की उन नीतियोंए कायों की आलोचना भी जो जनता के हित प्रभावित करती है। उन पर गुण्डे छुडाए जेल में बन्द कर आप दमन के रास्ते पर चल रहे हैं। उत्तराखण्ड में सत्ता के दुरुपयोग की शुरुआत तो बेगुनाहों को माओआदी बताकर हो ही चुकी थी आपके राज में सार्वजनिक जीवन के लोगों पर हमले करा गुण्डाराज की गूंज सुनाई देने लगी है। ं
उत्तराखण्ड आन्दोलनों की भूमि है और दमन से घबराकर कोई पीछे नही हटेगा ये शायद चेतन.अवचेतन मन में अवश्य होगा।
मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने को विकास कार्यकर्ता कह रहे हैं। रविवार को वे रुद्रपुर में वही बातें उसी अंदाज में कह रहे थे जो उनका चिर परिचित अंदाज है जिसमें कोई भी राजनेता अपने को श्रेष्ठ और दूसरे को दोयम दर्जे का बताने से नही चूकता।
आपकी बातें सुनते हैं तो लगता है आप बडी शिद्दत से उत्तराखण्ड के विकास में लगे हैं और यदि कहें तो उत्तराखण्ड के विकास पुरुष का श्रेय लेने की होड में आप हैं। आपका विकास शिक्षा. चिकित्साए सडक.परिवहनए कृषि.बागवानी और यहां तक कि आपकी घोषणाओं के हवाई होने की हद तक कहीं दिख नही रहा है। केदारनाथ में कर्नल कोठियाल और उनकी टीम का परिश्रम आपको बहुत कुछ राहत दे रहा है लेकिन उन परिथतियों की ओर आप नही सोच रहे हैं कि चोरवाडी झील आखिर टूटने के कारण क्या हैंघ्
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जितना दखल बढेगा निश्चित रुप से प्रकृति उतनी ही कुपित होगी। केदारनाथ यात्रा में हैली प्रयोग सीमित के बजाय असीमित करने के प्रयासों का कहीं न कहीं केदारनाथ आपदा से सम्बन्ध निकलता है। विज्ञान के युग में इस पर व्यापक वैज्ञानिक बहस नही हुई है। मानें कि केदारनाथ यात्रा प्रारम्भ करना आपकी सफलता का सफर शुरु करता इसके साथ आपदा के वे घोटाले जो सही मायने में सामने आये भी नही आपने उन्हें क्लीन चिट दे दी। दो साल पहले की अवर्षण को दैवी आपदा मानते हुए उत्तराखण्ड सरकार ने पहाडों के प्रत्येक काश्तकार को 1500 रु दैवी आपदा का मुवावजा दो तिहाई गांवों में अब भी नही बटा है। यही स्थिति मेरा पेड.मेरा धनए मेरा गांव.मेरी सडकए मेरे बुजर्ग.मेरे तीर्थ और सारी योजनाओं की जो आप बार.बार बखान कर रहे हैं। बजट में धनराशि की व्यस्था के बिना कोई भी योजना हवा में नही लटकेगी तो कहां जायेगीघ् पीपीपी मोड की असफलता को स्वीकारें अथवा नही ये पूरी तरह फ्राॅड सावित हो चुके हैं। सडक के लिए आपके ही जिले की चैखुटिया.मासी सडक देख लें तो सडकों का एक खाका आपके दिमाग में भी बने।
वीरपुर लच्छी नैनीसार में हमने गुंण्डों का आतंक देख लियाए राष्ट्र ध्वज का अपमान भी और खनन रोकने गये वन व प्रशासन के अधिकारियों को कुचलने के प्रयास भी।
आपने खल्डुवा में कहा. पीसी नैनीसार के नही हैं। यदि नैनीसार के लोग कहेंगे तो जिंदल का आवंटन रद्द कर देंगे। इससे पहले आपने शिक्षा और विकास न चाहने की स्थिति में आवंटन रद्द करने की बात कही थी। अब आप पाॅलिसी भी नैनीसार और जिंदल के बीच ले आये हैं। इतना सारा घालमेलघ् पहली बात तो आप जिस स्थान के बारे में जितना कुछ कहते हैं क्या आप उन सब जगह के हैंघ् हम केवल उस स्थान के पैदाइश की बात कर रहे हैंए आप इसलिए बोलते हैं कि आप उस राज्य के मुख्यमंत्री हैंए आपको यह पद संविधान ने दिया हैए उसी संविधान ने जिसने हम सब लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है। पी सी तिवारी एक क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते वह सब बोलेंगे जिसे वे ठीक समण्ते हैं। सरकार की उन नीतियोंए कायों की आलोचना भी जो जनता के हित प्रभावित करती है। उन पर गुण्डे छुडाए जेल में बन्द कर आप दमन के रास्ते पर चल रहे हैं। उत्तराखण्ड में सत्ता के दुरुपयोग की शुरुआत तो बेगुनाहों को माओआदी बताकर हो ही चुकी थी आपके राज में सार्वजनिक जीवन के लोगों पर हमले करा गुण्डाराज की गूंज सुनाई देने लगी है। ं
उत्तराखण्ड आन्दोलनों की भूमि है और दमन से घबराकर कोई पीछे नही हटेगा ये शायद चेतन.अवचेतन मन में अवश्य होगा
मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने को विकास कार्यकर्ता कह रहे हैं। रविवार को वे रुद्रपुर में वही बातें उसी अंदाज में कह रहे थे जो उनका चिर परिचित अंदाज है जिसमें कोई भी राजनेता अपने को श्रेष्ठ और दूसरे को दोयम दर्जे का बताने से नही चूकता।
आपकी बातें सुनते हैं तो लगता है आप बडी शिद्दत से उत्तराखण्ड के विकास में लगे हैं और यदि कहें तो उत्तराखण्ड के विकास पुरुष का श्रेय लेने की होड में आप हैं। आपका विकास शिक्षा. चिकित्साए सडक.परिवहनए कृषि.बागवानी और यहां तक कि आपकी घोषणाओं के हवाई होने की हद तक कहीं दिख नही रहा है। केदारनाथ में कर्नल कोठियाल और उनकी टीम का परिश्रम आपको बहुत कुछ राहत दे रहा है लेकिन उन परिथतियों की ओर आप नही सोच रहे हैं कि चोरवाडी झील आखिर टूटने के कारण क्या हैंघ्
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जितना दखल बढेगा निश्चित रुप से प्रकृति उतनी ही कुपित होगी। केदारनाथ यात्रा में हैली प्रयोग सीमित के बजाय असीमित करने के प्रयासों का कहीं न कहीं केदारनाथ आपदा से सम्बन्ध निकलता है। विज्ञान के युग में इस पर व्यापक वैज्ञानिक बहस नही हुई है। मानें कि केदारनाथ यात्रा प्रारम्भ करना आपकी सफलता का सफर शुरु करता इसके साथ आपदा के वे घोटाले जो सही मायने में सामने आये भी नही आपने उन्हें क्लीन चिट दे दी। दो साल पहले की अवर्षण को दैवी आपदा मानते हुए उत्तराखण्ड सरकार ने पहाडों के प्रत्येक काश्तकार को 1500 रु दैवी आपदा का मुवावजा दो तिहाई गांवों में अब भी नही बटा है। यही स्थिति मेरा पेड.मेरा धनए मेरा गांव.मेरी सडकए मेरे बुजर्ग.मेरे तीर्थ और सारी योजनाओं की जो आप बार.बार बखान कर रहे हैं। बजट में धनराशि की व्यस्था के बिना कोई भी योजना हवा में नही लटकेगी तो कहां जायेगीघ् पीपीपी मोड की असफलता को स्वीकारें अथवा नही ये पूरी तरह फ्राॅड सावित हो चुके हैं। सडक के लिए आपके ही जिले की चैखुटिया.मासी सडक देख लें तो सडकों का एक खाका आपके दिमाग में भी बने।
वीरपुर लच्छीए नैनीसार में हमने गुंण्डों का आतंक देख लियाए राष्ट्र ध्वज का अपमान भी और खनन रोकने गये वन व प्रशासन के अधिकारियों को कुचलने के प्रयास भी।
आपने खल्डुवा में कहा. पीसी नैनीसार के नही हैं। यदि नैनीसार के लोग कहेंगे तो जिंदल का आवंटन रद्द कर देंगे। इससे पहले आपने शिक्षा और विकास न चाहने की स्थिति में आवंटन रद्द करने की बात कही थी। अब आप पाॅलिसी भी नैनीसार और जिंदल के बीच ले आये हैं। इतना सारा घालमेलघ् पहली बात तो आप जिस स्थान के बारे में जितना कुछ कहते हैं क्या आप उन सब जगह के हैंघ् हम केवल उस स्थान के पैदाइश की बात कर रहे हैंए आप इसलिए बोलते हैं कि आप उस राज्य के मुख्यमंत्री हैंए आपको यह पद संविधान ने दिया हैए उसी संविधान ने जिसने हम सब लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है। पी सी तिवारी एक क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते वह सब बोलेंगे जिसे वे ठीक समण्ते हैं। सरकार की उन नीतियोंए कायों की आलोचना भी जो जनता के हित प्रभावित करती है। उन पर गुण्डे छुडाए जेल में बन्द कर आप दमन के रास्ते पर चल रहे हैं। उत्तराखण्ड में सत्ता के दुरुपयोग की शुरुआत तो बेगुनाहों को माओआदी बताकर हो ही चुकी थी आपके राज में सार्वजनिक जीवन के लोगों पर हमले करा गुण्डाराज की गूंज सुनाई देने लगी है। ं
उत्तराखण्ड आन्दोलनों की भूमि है और दमन से घबराकर कोई पीछे नही हटेगा ये शायद चेतन.अवचेतन मन में अवश्य होगा।
विकास कार्यकर्ता का विकास तो नही गुण्डे जरुर दिख रहे हैं
मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने को विकास कार्यकर्ता कह रहे हैं। रविवार को वे रुद्रपुर में वही बातें उसी अंदाज में कह रहे थे जो उनका चिर परिचित अंदाज है जिसमें कोई भी राजनेता अपने को श्रेष्ठ और दूसरे को दोयम दर्जे का बताने से नही चूकता।
आपकी बातें सुनते हैं तो लगता है आप बडी शिद्दत से उत्तराखण्ड के विकास में लगे हैं और यदि कहें तो उत्तराखण्ड के विकास पुरुष का श्रेय लेने की होड में आप हैं। आपका विकास शिक्षा. चिकित्साए सडक.परिवहनए कृषि.बागवानी और यहां तक कि आपकी घोषणाओं के हवाई होने की हद तक कहीं दिख नही रहा है। केदारनाथ में कर्नल कोठियाल और उनकी टीम का परिश्रम आपको बहुत कुछ राहत दे रहा है लेकिन उन परिथतियों की ओर आप नही सोच रहे हैं कि चोरवाडी झील आखिर टूटने के कारण क्या हैंघ्
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जितना दखल बढेगा निश्चित रुप से प्रकृति उतनी ही कुपित होगी। केदारनाथ यात्रा में हैली प्रयोग सीमित के बजाय असीमित करने के प्रयासों का कहीं न कहीं केदारनाथ आपदा से सम्बन्ध निकलता है। विज्ञान के युग में इस पर व्यापक वैज्ञानिक बहस नही हुई है। मानें कि केदारनाथ यात्रा प्रारम्भ करना आपकी सफलता का सफर शुरु करता इसके साथ आपदा के वे घोटाले जो सही मायने में सामने आये भी नही आपने उन्हें क्लीन चिट दे दी। दो साल पहले की अवर्षण को दैवी आपदा मानते हुए उत्तराखण्ड सरकार ने पहाडों के प्रत्येक काश्तकार को 1500 रु दैवी आपदा का मुवावजा दो तिहाई गांवों में अब भी नही बटा है। यही स्थिति मेरा पेड.मेरा धनए मेरा गांव.मेरी सडकए मेरे बुजर्ग.मेरे तीर्थ और सारी योजनाओं की जो आप बार.बार बखान कर रहे हैं। बजट में धनराशि की व्यस्था के बिना कोई भी योजना हवा में नही लटकेगी तो कहां जायेगीघ् पीपीपी मोड की असफलता को स्वीकारें अथवा नही ये पूरी तरह फ्राॅड सावित हो चुके हैं। सडक के लिए आपके ही जिले की चैखुटिया.मासी सडक देख लें तो सडकों का एक खाका आपके दिमाग में भी बने।
वीरपुर लच्छीए नैनीसार में हमने गुंण्डों का आतंक देख लियाए राष्ट्र ध्वज का अपमान भी और खनन रोकने गये वन व प्रशासन के अधिकारियों को कुचलने के प्रयास भी।
आपने खल्डुवा में कहा. पीसी नैनीसार के नही हैं। यदि नैनीसार के लोग कहेंगे तो जिंदल का आवंटन रद्द कर देंगे। इससे पहले आपने शिक्षा और विकास न चाहने की स्थिति में आवंटन रद्द करने की बात कही थी। अब आप पाॅलिसी भी नैनीसार और जिंदल के बीच ले आये हैं। इतना सारा घालमेलघ् पहली बात तो आप जिस स्थान के बारे में जितना कुछ कहते हैं क्या आप उन सब जगह के हैंघ् हम केवल उस स्थान के पैदाइश की बात कर रहे हैंए आप इसलिए बोलते हैं कि आप उस राज्य के मुख्यमंत्री हैंए आपको यह पद संविधान ने दिया हैए उसी संविधान ने जिसने हम सब लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है। पी सी तिवारी एक क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते वह सब बोलेंगे जिसे वे ठीक समण्ते हैं। सरकार की उन नीतियोंए कायों की आलोचना भी जो जनता के हित प्रभावित करती है। उन पर गुण्डे छुडाए जेल में बन्द कर आप दमन के रास्ते पर चल रहे हैं। उत्तराखण्ड में सत्ता के दुरुपयोग की शुरुआत तो बेगुनाहों को माओआदी बताकर हो ही चुकी थी आपके राज में सार्वजनिक जीवन के लोगों पर हमले करा गुण्डाराज की गूंज सुनाई देने लगी है। ं
उत्तराखण्ड आन्दोलनों की भूमि है और दमन से घबराकर कोई पीछे नही हटेगा ये शायद चेतन.अवचेतन मन में अवश्य होगा।
मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने को विकास कार्यकर्ता कह रहे हैं। रविवार को वे रुद्रपुर में वही बातें उसी अंदाज में कह रहे थे जो उनका चिर परिचित अंदाज है जिसमें कोई भी राजनेता अपने को श्रेष्ठ और दूसरे को दोयम दर्जे का बताने से नही चूकता।
आपकी बातें सुनते हैं तो लगता है आप बडी शिद्दत से उत्तराखण्ड के विकास में लगे हैं और यदि कहें तो उत्तराखण्ड के विकास पुरुष का श्रेय लेने की होड में आप हैं। आपका विकास शिक्षा. चिकित्साए सडक.परिवहनए कृषि.बागवानी और यहां तक कि आपकी घोषणाओं के हवाई होने की हद तक कहीं दिख नही रहा है। केदारनाथ में कर्नल कोठियाल और उनकी टीम का परिश्रम आपको बहुत कुछ राहत दे रहा है लेकिन उन परिथतियों की ओर आप नही सोच रहे हैं कि चोरवाडी झील आखिर टूटने के कारण क्या हैंघ्
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जितना दखल बढेगा निश्चित रुप से प्रकृति उतनी ही कुपित होगी। केदारनाथ यात्रा में हैली प्रयोग सीमित के बजाय असीमित करने के प्रयासों का कहीं न कहीं केदारनाथ आपदा से सम्बन्ध निकलता है। विज्ञान के युग में इस पर व्यापक वैज्ञानिक बहस नही हुई है। मानें कि केदारनाथ यात्रा प्रारम्भ करना आपकी सफलता का सफर शुरु करता इसके साथ आपदा के वे घोटाले जो सही मायने में सामने आये भी नही आपने उन्हें क्लीन चिट दे दी। दो साल पहले की अवर्षण को दैवी आपदा मानते हुए उत्तराखण्ड सरकार ने पहाडों के प्रत्येक काश्तकार को 1500 रु दैवी आपदा का मुवावजा दो तिहाई गांवों में अब भी नही बटा है। यही स्थिति मेरा पेड.मेरा धनए मेरा गांव.मेरी सडकए मेरे बुजर्ग.मेरे तीर्थ और सारी योजनाओं की जो आप बार.बार बखान कर रहे हैं। बजट में धनराशि की व्यस्था के बिना कोई भी योजना हवा में नही लटकेगी तो कहां जायेगीघ् पीपीपी मोड की असफलता को स्वीकारें अथवा नही ये पूरी तरह फ्राॅड सावित हो चुके हैं। सडक के लिए आपके ही जिले की चैखुटिया.मासी सडक देख लें तो सडकों का एक खाका आपके दिमाग में भी बने।
वीरपुर लच्छी नैनीसार में हमने गुंण्डों का आतंक देख लियाए राष्ट्र ध्वज का अपमान भी और खनन रोकने गये वन व प्रशासन के अधिकारियों को कुचलने के प्रयास भी।
आपने खल्डुवा में कहा. पीसी नैनीसार के नही हैं। यदि नैनीसार के लोग कहेंगे तो जिंदल का आवंटन रद्द कर देंगे। इससे पहले आपने शिक्षा और विकास न चाहने की स्थिति में आवंटन रद्द करने की बात कही थी। अब आप पाॅलिसी भी नैनीसार और जिंदल के बीच ले आये हैं। इतना सारा घालमेलघ् पहली बात तो आप जिस स्थान के बारे में जितना कुछ कहते हैं क्या आप उन सब जगह के हैंघ् हम केवल उस स्थान के पैदाइश की बात कर रहे हैंए आप इसलिए बोलते हैं कि आप उस राज्य के मुख्यमंत्री हैंए आपको यह पद संविधान ने दिया हैए उसी संविधान ने जिसने हम सब लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है। पी सी तिवारी एक क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते वह सब बोलेंगे जिसे वे ठीक समण्ते हैं। सरकार की उन नीतियोंए कायों की आलोचना भी जो जनता के हित प्रभावित करती है। उन पर गुण्डे छुडाए जेल में बन्द कर आप दमन के रास्ते पर चल रहे हैं। उत्तराखण्ड में सत्ता के दुरुपयोग की शुरुआत तो बेगुनाहों को माओआदी बताकर हो ही चुकी थी आपके राज में सार्वजनिक जीवन के लोगों पर हमले करा गुण्डाराज की गूंज सुनाई देने लगी है। ं
उत्तराखण्ड आन्दोलनों की भूमि है और दमन से घबराकर कोई पीछे नही हटेगा ये शायद चेतन.अवचेतन मन में अवश्य होगा
No comments:
Post a Comment