अगस्त्यमुनि के सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षा प्रेमी स्व हरिदत्त बैंजवाल की स्मृति मे दिया गया सम्मान उद्भट पत्रकार और समाजसेवी रमेश गैरोला‘ पहाडी को मिलना पत्रकारिता और समाजसेवा के प्रति सम्मान के बरकरार रहने का संकेत है। उन सब महानुभावों का जिन्होंने श्री रमेश पहाडी के नाम पर विचार और निर्णय किया उनको साधुवाद। हमें कहते प्रसन्नता है कि उनका चयन और निर्णय उच्च कोटि का है। किसी भी सम्मान से सम्मानित होने वाले पात्र की कसौटी ही सम्मान की उपयोगिता सिद्ध करती है और पहला स्व हरिदत्त सम्मान पाने वाले रमेश पहाडी बधाई के पात्र है।
एक पत्रकार, समाजसेवी, मित्र, लोकदृष्टा और बडे भाई के रुप में उन्हें जितना देखा वह महसूस करने की स्थिति है, गुंगे के लिए गुड का स्वाद है। सातवें दशक में जब उत्तराखण्ड चिपको और विश्वविद्यालयों के आन्दोलन के ज्वार में था वे नागपुर में अच्छी सेवा छोड पहाड आ गये। पत्रकारिता के अनुभवी रमेश गैरोला अपर गढवाल के पहले समाचार पत्र देवभूमि से जुड गये और संपादक रामप्रसाद बहुगुणा के स्नेहभाजन के साथ समाचार पत्र को धार देने में जुट गयेे। सन् 1975 में उत्तराखण्ड का फ्रंटल संगठन उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी के संस्थापक सदस्यों में प्रमुख रमेश गैरोला ने अपना नाम पहाडी रख लिया।
अनिकेत के प्रकाशन में उनका संघर्ष प्रेरणादायी है। कर्णप्रयाग-गौचर-कर्णप्रयाग-रुद्रप्रयाग- गोपेश्वर और रुद्रप्रयाग इतनी बार प्रकाशन का स्थान और परिवार का रहन सहन बदलना रमेश पहाडी के ही बूते का है। घाटे का सौदा अखबार, छोटे बच्चे , बहिनजी भी बहुत स्वस्थ नही ऐसे में पत्रकारिता और उद्भट पत्रकारिता की डोर संभाले दाज्यू कब हमारे आदर्श बने हम भी नही जानते।
रमेश पहाडी की नेतृत्व क्षमता पत्रकार उमेश डोभाल की हत्या के समय सन् 1988 में सामने आयी। उन्होंने जिस कुशलता से उमेश डोभाल खोजो संघर्ष समिति का नेतृत्व किया उससे शराब माफिया के होश ठिकाने हो गये। उस समय वे चमोली जिला पत्रकार परिषद् के अध्यक्ष थे और उमेश डोभाल खोजो संघर्ष समिति का अध्यक्ष बनने से अधिकांश कन्नी काट रहे थे जो शराब माफिया के खौफ का परिचायक था। कहना न होगा कि संघर्ष रंग लाया और मनमोहन नेगी को सीबीआई ने पत्रकार उमेश डोभाल की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार किया।
उनकी निर्भीकता और पत्रकारिता, समाज के प्रति समर्पण ने हमारी पीढी को तो राह दिखाई ही है नई पीढी भी प्रेरणालेगी। बधाई दाज्यू, बधाई स्व हरिदत्त् बैंजवाल स्मृति समिति।
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