Thursday, December 31, 2015

अजय भट्ट भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मेहनत और योग्यता का पुरस्कार करनी होगी बहुत मेहनत, परीक्षा है यह

     विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और रानीखेत से विधान सभा सदस्य अजय भट्ट को उत्तराखण्ड भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनाकर हाई कमान उनकी क्षमताओं को स्वीकार किया है। अगस्त में वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष तीरथसिंह रावत का कार्यकाल पूरा होने के बाद पार्टी को अगला अध्यक्ष चुनने के लिए चार महिने का इंतजार करना पडा। कहें कि अजय भट्ट को पार्टी अध्यक्ष चुने जाने में ठोक बजाकर प्रक्रिया को अंजाम दिया गया होगा।
   वकालत से राजनीति में आये अजय भट्ट का राजनैतिक सफर 1997 में उ प्र विधान सभा के लिए रानीखेत से विधान सभा सदस्य चुने जाने जाने से हुआ। उत्तराखण्ड राज्य गठन के प्श्चात पहली अंतरिम सरकार में वे स्वास्थ्य मंत्री बनाये गये।  उततराखण्ड के पहले विधान सभा चुनाव में रानीखेत की जनता ने उन्हें पुनः विजयी बनाया तो सन् 2007 के दूसरे विधान सभा चुनाव में हार का मुंह देखना  पडा।
 मृदु भाषी और राजनीति की नई पीढी के धुरंधर श्री भट्ट 2012 के विधान सभा चुनाव में विजयी हुए तो एक सीट से सत्ता गवां चुकी भाजपा ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष का ताज दे दिया। सन् 2014 में भाजपा को उततराखण्ड से पांचों सीट दिलाने में भट्ट की परिश्रम कम नही रहा। वे नेता पगतिपक्ष केरुप में लगातार सरकार के लिए परेशानी का सबक बनते और मुद्दों पर तर्कपूर्ण बहस करते। हालांकि विधानसभा में चर्चा की जगह अधिकतर हंगामे ने ले ली है लेकिन अजय भट्ट जिन तर्कों और मुद्दों को उठाते हैं सरकार कुछ समय के लिए ही सही  कठघरे में दिखती है।
  भारतीय जनता पार्टी जो लोकसभा चुनाव के बाद विधान सभा, पंचायत या निकाय चुनाव नही जीती है सन् 2017 के विधान सभा चुनाव से पहले अजय भट्ट को पार्टी की बागडोर थमाकर कांग्रेस को चुनौती देने की स्थिति में आयी है। धडों में बंटी पार्टी को एक जुट करना उनकी सबसे बडी चुनौती होगी। मुख्यमंत्री हरीश रावत से जो राजनीति के धुरंधर खिलाडी हैं के मुकाबले जीतना अजय भट्ट की मेहनत और पार्टी की एक जुटता से ही संम्भव हो सकता है। 


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